देश में कोविड-19 संक्रमण के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की पुष्टि
दिल्ली। एम्स के डॉक्टरों और आईसीएमआर शोध समूह के दो सदस्यों सहित स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह का कहना है कि देश की घनी और मध्यम आबादी वाले क्षेत्रों में कोरोना वायरस संक्रमण के सामुदायिक प्रसार की पुष्टि हो चुकी है। वहीं सरकार बार-बार यह कह रही है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण सामुदायिक प्रसार के स्तर पर नहीं पहुंचा है जबकि सोमवार तक देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 5,394 पर पहुंच गई और संक्रमण के कुल मामले 1,90,535हो गए हैं।
हम आपको बता दें कि इसके बावजूद सरकार लगातार कह रही है कि अभी भारत में कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हो रहा है। भारत अब कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया का सांतवां सबसे बड़ा देश बन चुका है। इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञों द्वारा संकलित रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उम्मीद करना ठीक नहीं है कि इस स्तर पर कोरोना वायरस महामारी को समाप्त किया जा सकता है क्योंकि बीमारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से अपेक्षित फायदा यह था कि इस बीमारी को एक समय के भीतर ज्यादा फैलने से रोका जाए, जिससे प्रभावी ढंग से योजना बनाई जाए। अब लॉकडाउन के चौथे चरण के खत्म होने के बाद लगता है कि यह संभव हो गया है।
16 सदस्यीय संयुक्त कोविड-19 टास्क फोर्स में IAPSM के पूर्व अध्यक्ष डॉ शशि कांत, IPHA के अध्यक्ष डॉ. संजय के. राय, बीएचयू के डॉ डीसीएस रेड्डी और चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर के डॉ. राजेश कुमार शामिल हैं। डॉ. रेड्डी और डॉ. कांत कोरोना महामारी के लिए महामारी विज्ञान और निगरानी पर एक आईसीएमआर के सदस्य हैं।
रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि महामारी से निपटने के लिए फैसले लेते समय महामारी विज्ञानियों से परामर्श नहीं किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि मानवीय संकट और बीमारी फैलने दोनों के मामले में भारत भारी कीमत चुका रहा है।