कोरोना की दवा और टीका बनाने का काम मुश्किल, जानें क्यों
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया जूझ रही है, दूसरी तरफ वायरस को लेकर जो वैज्ञानिक शोध सामने आ रहे हैं, वे इसके विरुद्ध छेड़ी गई लड़ाई को और चुनौतीपूर्ण बता रहे हैं। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 वायरस में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, अब तक 30 बदलाव पाए गए हैं। इनमें से कई एकदम नए हैं जो आने वाले दिनों में वायरस की कार्यप्रणाली में भी बदलाव ला सकते हैं। इससे वायरस के खिलाफ बन रही दवाओं और टीकों की सफलता दर कम हो सकती है।
चीन के झियांन विश्वविद्यालय ने अपने शोध में दावा किया कि वुहान के बाद कोविड में म्यूटेशन के कारण इसके कुछ स्टेन घातक हुए हैं। खासकर जो स्ट्रेन इसके यूरोप में सक्रिय हैं, वे घातक म्यूटेशन के चलते हैं। यूरोप से ही ये घातक स्ट्रेन न्यूयार्क पहुंचे हैं। जबकि अमेरिका के बाकी हिस्सों खासकर वाशिंगटन राज्य में जो स्ट्रेन पाए गए हैं, वे कम घातक हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि वैज्ञानिकों ने इन बदलाव को पहले गंभीरता से नहीं लिया जिसके चलते मौत और संक्रमण के मामले ज्यादा हैं। ली लंजुन की सलाह पर ही वुहान को लॉकडाउन करने का फैसला किया गया था।
यह अनुमान लगाया गया है कि सबसे घातक वायरस सबसे कमजोर स्ट्रेन से 270 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। इस शोध को साइंस जर्नल मैड रैक्सीव ने प्रकाशित किया है जिसमें शोधकर्ताओं का दावा है कि म्यूटेशन से वायरस के विभिन्न स्ट्रेन में बदलाव आए हैं। कहीं यह घातक हुआ है तो कहीं कमजोर पड़ा है।
ऐसे में अगले छह महीने में जब तक दवा आएगी तब तक वायरस में कई बदलाव आ चुके होंगे। दवाएं एवें टीके पूरेश विश्व में समान रूप से कोविड के खिलाफ काम नहीं कर पाएंगे। असल चुनौती वैज्ञानिकों के लिए दवाएं और टीके तैयार करने की होगी। दुनिया में 70 से अधिक टीका बनाने के प्रोजेक्ट चल रहे हैं और इससे ज्यादा दवाओं के हैं।
शोध में स्पष्ट किया गया है कि कोविड वायरस के तीन स्ट्रेन ए, बी, सी पूरी दुनिया में सक्रिय हैं। इन सभी में बदलाव आ रहे हैं। भारत में आईसीएमआर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार मार्च में नमूनों की जांच में कोरोना वायरस में दो बदलाव दर्ज किए गए हैं। चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोइंफार्मेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक दुनिया में कोरोना वायरस के दस हजार नमूनों की जांच हुई है जिसमें 4300 म्यूटेशन रिकॉर्ड किए गए हैं।