DA पर रोक असंवेदनशील और अमानवीय : राहुल
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दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी केंद्र सरकार पर लगातार आरोप लगा रहे हैं कि कोरोना संकट से निपटने में उसका रवैया 'असंवेदनशील और अमानवीय' है। आज उन्होंने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता (DA) काटे जाने के फैसले का हवाला देकर यह आरोप दुहराया है। राहुल ने गुरुवार को केंद्र पर लॉकडाउन में मजदूरों और असहाय आबादी का ख्याल नहीं रखने का आरोप लगाया था।
राहुल गांधी ने डीए रोके जाने पर ट्वीट किया, 'लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता (DA)काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है।'
राहुल गांधी के आरोपों को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के बयान से अच्छी तरह समझा जा सकता है। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव को मानते हुए केंद्र सरकार अपने फिजूल खर्चे पर रोक लगाकर ढाई लाख करोड़ रुपये बचा सकती है जिसका इस्तेमाल संकट के इस समय में लोगों की मदद के लिए हो सकता है।
उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के संकट से पैदा हुई आर्थिक मंदी और आय की तंगी पर मरहम लगाने के बजाय मोदी सरकार जले पर नमक छिड़कने में लगी है।' सुरजेवाला ने सवाल किया, 'उसने हाल ही में 30 लाख 42 हजार करोड़ रुपये का बजट पारित किया। बजट में आय एवं खर्चे का लेखा-जोखा स्पष्ट तौर से दिया जाता है। फिर बजट पेश करने के 30 दिन के अंदर ही मोदी सरकार सेना के जवानों, सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित कर रही है?'
उन्होंने दावा किया कि महंगाई भत्ते में 'अन्यायपूर्ण कटौती' से लगभग 1.13 लाख सैनिकों, कर्मचारियों और पेंशनरों की तनख्वाह से सालाना 37,530 करोड़ रुपये की कटौती होगी। सुरजेवाला ने कहा, 'दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती कर जख्म देने की इस कवायद ने देश की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के हमारे सैनिकों तक को नहीं बख्शा। इस कटौती के जरिए सेनाओं के 15 लाख सैनिकों और लगभग 26 लाख सैन्य पेंशनभोगियों के 11 हजार करोड़ रुपये काट लिये जाएंगे।'
उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सरकार ने आज तक 20 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली सेंट्रल विस्टा परियोजना खारिज नहीं की। न ही उसने 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना बंद की। उसने फिजूल के सरकारी खर्चों में कटौती की घोषणा भी नहीं की, जिससे 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये सालाना बच सकते हैं।' सुरजेवाला ने सरकार से आग्रह किया कि वह इन परियोजनाओं पर रोक लगाए और 'फिजूल खर्चे' बंद करे। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद और मध्य दिल्ली की कई सरकारी परिसंपत्तियों के पुनर्निमाण का प्रस्ताव है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के कारण बढ़ते वित्तीय बोझ के चलते सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में अगले साल जुलाई तक कोई वृद्धि नहीं करने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2020 में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता चार प्रतिशत बढ़ाकर 21 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था। नए निर्णय से इस वृद्धि पर भी रोक लग गई है। अब अगले साल जुलाई तक महंगाई भत्ते की प्रभावी दर 17 प्रतिशत ही रहेगी। यानी, जनवरी 2020 से जुलाई 2021 के 18 महीनों तक महंगाई भत्ते में 4% की बढ़ोतरी लागू नहीं होगी।
इस फैसले का केन्द्र सरकार के 50 लाख कर्मचारियों तथा 61 लाख पेंशनभोगियों पर असर पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि को रोकने के इस कदम से सरकार को चालू वित्त वर्ष 2020-21 और अगले वित्त वर्ष 2021-22 में कुल मिलाकर 37,530 करोड़ रुपये की बचत होगी। आमतौर पर इस मामले में राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार का अनुसरण करतीं हैं। राज्य सरकारों को जुलाई 2021 तक महंगाई भत्ते की बढ़ी दर पर भुगतान नहीं करने से 82,566 करोड़ रुपये तक की बचत होगी। कुल मिलाकर केंद्र और राज्यों के स्तर पर इससे 1.20 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
केंद्र सरकार साल में दो बार इस बात की समीक्षा करती है कि क्या महंगाई के मुताबिक उसके कर्मचारियों को रहने-खाने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है? कैलेंडर वर्ष में पहली छमाही और दूसरी छमाही के लिए यह समीक्षा होती है। फिर सरकार महंगाई में आई तेजी के आधार पर अपने कर्मचारियों के वेतन में महंगाई भत्ते (डीए) के रूप में शामिल कंपोनेंट को बढ़ा देती है ताकि महंगाई के मुताबिक कर्मचारियों के बढ़े खर्च की भरपाई हो जाए।
राहुल ने गुरुवार को ट्वीट किया था, 'Covid19 लॉकडाउन से रोज की रोटी कमाकर जीवन चलाने वाले भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। झुंझलाहट और नफरत से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता। इस संकट में हमारे बेसहारा भाई बहनों को अन्न और जीविका की सुरक्षा देना सरकार की प्राथमिकता होनी ही चाहिए।'