चुनाव में मुफ्त की घोषणा पर जल्द गौर करने की मांग, सीजेआई आज करेंगे फैसला-कब हो सुनवाई
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नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की घोषणा किए जाने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई करने की मांग की गई। चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि इसमें जल्दबाजी क्या है।तब याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक दल लगातार मुफ्त की घोषणाएं कर रहे हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को हम चैंबर में आज देखेंगे फिर फैसला लेंगे कि कब सुना जाए। 17 अगस्त को कोर्ट ने सभी पक्षों से विशेषज्ञ कमेटी के गठन पर अपने सुझाव दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर लोक कल्याण का मतलब मुफ्त में चीजें देना है तो यह अपरिपक्व समझदारी है। तब तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि राजनीतिक दलों को लोगों से वादा करने से नहीं रोका जा सकता। क्या मुफ्त शिक्षा, पेयजल, न्यूनतम बिजली का युनिट मुफ्त कहा जाएगा। इसके साथ ही क्या इलेक्ट्रॉनिक गजट और कंज्यूमर प्रोडक्ट्स कल्याणकारी कहे जा सकते हैं।
जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि वोटर की मुफ्त चीजों पर राय अलग है। हमारे पास मनरेगा जैसे उदाहरण हैं। सवाल इस बात का है कि सरकारी धन का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए। ये मामला उलझा हुआ है। आप अपनी अपनी राय दें। इस मामले में आम आदमी पार्टी , कांग्रेस और डीएमके ने पक्षकार बनाने की मांग करते हुए याचिका दायर की है।