RIC Meeting : भारत, रूस, चीन को आतंकवाद और नशे के खिलाफ मिलकर लड़ना होगा
नईदिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, मजहबी उग्रवाद और मादक द्रव्यों की तस्करी की चुनौती का सामना करने के लिए भारत, रूस और चीन को अपने रवैये में तालमेल कायम करना चाहिए।
जयशंकर ने शुक्रवार को तीनों देशों के विचार-विमर्श संबंधी मंच 'रिक' (रूस, भारत, चीन) के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की। बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए शिरकत की। भारत ने पिछले वर्ष सितंबर में एक वर्ष के लिए रिक की अध्यक्षता संभाली थी। बैठक के बाद अगले वर्ष के लिए चीन यह जिम्मेदारी निभाएगा।
अफगानिस्तान के हालात -
जयशंकर ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसी होने तथा लम्बे समय से सहयोगी रहने के कारण भारत वहां के हालात को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि अफगान अवाम के कष्ट को देखते हुए भारत ने वहां 50 हजार टन गेहूं भेजने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि रिक देशों को अफगान अवाम तक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का हवाला देते हुए दोहराया की अफगानिस्तान में एक समावेशी और प्रतिनिधिमूलक सरकार का गठन होना चाहिए।
विश्व अर्थव्यवस्था में वृद्धि,
जयशंकर ने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न देशों की समानता, आपसी सम्मान, अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समसामायिक वास्तविकता के आधार पर विश्व संस्थाओं में सुधार होना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि रिक के सदस्य देश भारत, रूस, चीन यूरोएशिया क्षेत्र के तीन सबसे बड़े देश हैं। भारत इनके बीच निकट सहयोग और संवाद का इच्छूक है। व्यापार निवेश स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, विज्ञान प्रौद्योगिकी और राजनीति जैसे क्षेत्रों में इन तीनों देशों के बीच सहयोग से विश्व अर्थव्यवस्था में वृद्धि, शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र -
विदेश मंत्री ने "वसुधैव कुटुम्बकम" के मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत मानवकेन्द्रित विकास का पक्षधर है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' मंत्र का जिक्र करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए समय पर कारगर, पादर्शितापूर्ण और बिना किसी भेदभाव के उपाय किए जाने चाहिए। साथ ही दवाईयों और अन्य चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित होनी चाहिए।