अंतर-अफगान शांति वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा - लोकतंत्र के लिए किए गए प्रयासों का हो संरक्षण

अंतर-अफगान शांति वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा - लोकतंत्र के लिए किए गए प्रयासों का हो संरक्षण
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नई दिल्ली। भारत की ओर से अंतर अफगान सेरेमनी में विदेश मंत्री एस जयशंकर वर्चुअल मौजूद रहे, जो आज से शुरू हो गई। कार्यक्रम में भारत सरकार के पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इरान(पीआईए) मामलों के संयुक्त सचिव जेपी सिंह भी मौजूद रहे। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत चाहता है कि लोकतंत्र की स्थापना के लिए अफगानिस्तान में अबतक किए गए प्रयासों का संरक्षण किया जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के अनुसार दोहा में आयोजित इस वार्ता में जयशंकर कतर के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह रहमान बिन कासिम अल थानी के निमंत्रण पर शामिल हुए थे। विदेश मंत्री ने वार्ता में भाग लेते हुए भारत और अफगानिस्तान के बीच सदियों से चले आ संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि यह समय के साथ और अधिक प्रगाढ़ हुए हैं। विदेश मंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत अफगानिस्तान का विकास सहयोगी है और उसके सहयोग से वहां के सभी 34 प्रांतों में 400 परियोजनाएं चल रही हैं।

जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर भारत की स्थिति हमेशा एक ही रही है। भारत का विश्वास है कि अफगानिस्तान के लिए चलने वाली कोई भी शांति प्रक्रिया अफगान नेतृत्व, अफगान स्वामित्व और अफगान नियंत्रण में होनी चाहिए। हमें अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए

उन्होंने कहा कि शांति वार्ता के दौरान इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफ़गानिस्तान में लोकतंत्र स्थापना के लिए किए गए कार्यों का संरक्षण होना चाहिए। अल्पसंख्यकों, महिलाओं और वंचित वर्गों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और साथ ही देश के भीतर चल रही हिंसा को खत्म करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए।

विदेश मंत्री ने अंतर-अफगान वार्ता की सफलता और अफगानिस्तान के शांतिमय, प्रगतिशील भविष्य की कामना की। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल इस वार्ता के शुरुआती सत्र में शामिल होने के लिए दोहा में है।

उल्लेखनीय है कि आज ही के दिन अमेरिका में 2001 में अल-कायदा के आतंकियों ने आतंकी हमला किया था। इसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में अल-कायदा को संरक्षण देने वाली तालिबान सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था। वहां लोकतंत्र की स्थापना हुई थी । हालांकि तालिबान लगातार अफगानिस्तान में शांति और विकास कार्यों की प्रगति में बाधक बना रहा है। अब तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच शांति स्थापना के लिए वार्ता प्रक्रिया शुरू हुई है।

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