LAC से सैनिकों की जल्दी और पूर्ण वापसी भारत-चीन रिश्तों के लिए बेहद जरूरी - विदेश मंत्रालय

LAC से सैनिकों की जल्दी और पूर्ण वापसी भारत-चीन रिश्तों के लिए बेहद जरूरी - विदेश मंत्रालय
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नई दिल्ली। भारत और चीन के रिश्तों पर पड़ने वाले असर को लेकर विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (14 अगस्त) कहा कि सैनिकों की जल्दी और पूर्ण वापसी तथा शांति और स्थिरता की बहाली द्विपक्षीय संबंधों के लिए आवश्यक है। चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध पर मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर विस्तृत समझौता है और उसके आधार पर पहले कुछ प्रगति भी हुई।

विवादित स्थानों पर से सैनिको की वापसी में हो रही देरी को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि सैनिकों की वापसी पर व्यापक समझौते को क्रियान्वित करना जटिल प्रक्रिया है और इसे लागू करने के लिए दोनों पक्षों को अपनी-अपनी सेना की उनकी सामान्य चौकियों पर पुन:तैनाती करनी होगी।

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थाई सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है, जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के बीच बीते 15 जून को गलवान घाटी में तीन घंटे तक दोनों सेनाओं के बीच चले खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के एक कमांडिग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गए। इस झड़प में चीनी जवानों के मारे जाने की भी पुष्टि की गई, लेकिन चीन की तरफ से यह नहीं बताया गया कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए हैं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 43 चीनी सैनिक या तो गंभीर रूप से घायल हुए या मारे गए।

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