G-20 समिट को विदेश मंत्री जयशंकर ने किया संबोधित, दोहराई ग्लोबल गवर्नेंस में सुधार की मांग
नईदिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को जी 20 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य विश्व संस्थाओं में सुधार की भारत की मांग दोहरायी। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रिया का लोकतंत्रीकरण जरूरी है।
2005 से उच्चतम स्तर पर सुधार की भावना व्यक्त की जा रही है'
विदेश मंत्री ने कहा कि 2005 से उच्चतम स्तर पर सुधार की भावना व्यक्त की जा रही है लेकिन जितनी देर हम इसे टालते रहेंगे उससे बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता उतनी ही क्षीण होती जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक संरचना अपने आठवें दशक में है। इस अवधि में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संख्या चौगुनी हो गई है। यह आज की राजनीति, अर्थशास्त्र, जनसांख्यिकी या आकांक्षाओं को प्रदर्शित नहीं करता।
''हमारे एजेंडे में खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा की चुनौतियां शामिल'
विदेश मंत्री ने कहा कि आज की चर्चाओं के हमारे एजेंडे में खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा की चुनौतियां शामिल हैं। ये वास्तव में विकासशील देशों के लिए अहम मुद्दे हैं। भारत का आग्रह है कि ये मुद्दे जी 20 किसी भी निर्णय लेने के केंद्र में हों। इसके साथ ही दुनिया को अधिक विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए भी प्रयास करना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि जी 20 के विदेश मंत्रियों के रूप में, हम इस समय हमारे सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का समाधान करने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि करते हुए एक सामूहिक संदेश भेज सकते हैं।
आज एक बार फिर वास्तव में कई संकटों का सामना कर रहे हैं-
उन्होंने कहा कि हम पहली बार वैश्विक संकट के बीच एक साथ आए थे और आज एक बार फिर वास्तव में कई संकटों का सामना कर रहे हैं। इन मुद्दों पर विचार करते हुए, हम सभी हमेशा एक मन के नहीं हो सकते हैं। वास्तव में, राय और विचारों के तीखे मतभेद के कुछ मामले हैं। फिर भी, हमें सामान्य जमीन तलाशनी चाहिए और दिशा प्रदान करनी चाहिए, क्योंकि दुनिया हमसे यही उम्मीद करती है।
विदेश मंत्री के भाषण से पूर्व तुर्किए और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा गया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से जी 20 के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बैठक गांधी और बुद्ध की भूमि में हो रही है और वे भारत के सभ्यतागत लोकाचार से प्रेरणा लें जो हमें विभाजित नहीं करता है, बल्कि हमारा ध्यान उस ओर दिलाता है जो हम सभी को जोड़ता है।