नए संसद भवन के उद्घाटन पर सरकार को मिला इन...दलों का साथ, ओवैसी ने सुझाया फीता काटने के लिए नया नाम
नईदिल्ली। लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाले संसद भवन की नई इमारत बनकर तैयार है। इसका आगामी 28 मई को उद्घाटन होना है। उससे पहले देश में राजनीति शुरू हो गई है। जहां एक ओर कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने इस समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है। वहीँ अकाली दल समेत पांच राजनीतिक दलों का समर्थन मिल गया है।
अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि नए संसद भवनके निर्माण को देश के लिए गर्व की बात बताया। उन्होंने नए भवन का उद्घाटन पूरे देश के लिए गर्व का विषयहै, इसलिए हमने फैसला किया है कि अकाली दल 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह में शामिल होगा। हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दे से सहमत नहीं है। वहीँ बीजू जनता दल ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, बताया जा रहा है की 27 मई को नवीन पटनायक अंतिम निर्णय लेंगे।
ओवैसी ने सुझाया लोकसभा अध्यक्ष का नाम -
इसी बीच एआईएमआईएम क नेता असद्दुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा के उद्घटान को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। ओवैसी ने कहा नए संसद भवन की जरूरत है इसको कोई अस्वीकार नहीं कर सकता लेकिन इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा नहीं होना चाहिए क्योंकि यह शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है।विपक्षी दलों ने हमारी पार्टी से संपर्क नहीं किया है। उद्घाटन लोकसभा स्पीकर को करना चाहिए क्योंकि वह संसद के अभिरक्षक हैं। उन्होंने कहा हम प्रधानमंत्री से अपील करते हैं की आप पीछे हट जाइए और स्पीकर ओम बिड़ला को उद्घाटन करने दें। अगर प्रधानमंत्री ऐसा करेंगे तो हम कार्यक्रम में जरूर जाएंगे।
गृहमंत्री ने राजनीति ना करने की अपील की -
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सभी राजनीतिक दलों से उद्घाटन समारोह के मुद्दे पर राजनीति ना करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 28 मई को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को राजनीति से परे रखना चाहिए। केन्द्र सरकार की ओर से सभी को आमंत्रित किया गया है।
इन दलों ने किया बहिष्कार -
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) सहित 19 विपक्षी दलों ने 28 मई को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है। विपक्षी दलों ने आज एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से ‘दरकिनार’ करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का फैसला न केवल घोर ‘अपमान’ है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं।