हिमाचल प्रदेश 2025 तक बनेगा इलेक्ट्रिक वाहनों का हब, राज्य में होगा निर्माण

हिमाचल प्रदेश 2025 तक बनेगा इलेक्ट्रिक वाहनों का हब, राज्य में होगा निर्माण
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ऊना। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2022 को अधिसूचित कर दिया है, ताकि वाहनों से निकलने वाले धुएं पर रोक लगाते हुए वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। 30 नवंबर 2021 को राज्य मंत्रिमंडल से नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को मंजूरी मिलने के बाद 10 जनवरी 2022 को राज्यपाल ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। इसके बाद नई पॉलिसी को अधिसूचित कर दिया गया है।

पॉलिसी के तहत हिमाचल प्रदेश को इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाया जाएगा और वर्ष 2025 तक सभी कैटेगरी के इलेक्ट्रिक वाहनों का राज्य में उत्पादन भी होगा। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2025 तक 15 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत करने का लक्ष्य तय किया है तथा प्रदेश के चार शहरों- शिमला, मंडी, बद्दी और धर्मशाला को इलेक्ट्रिक व्हीकल टाउन बनाने का प्रस्ताव है।परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि नई नीति के तहत राजकोषीय और गैर-राजकोषीय प्रोत्साहनों के प्रावधान के माध्यम से इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग को बढ़ावा दिया जाएगा। सार्वजनिक परिवहन और सरकारी संस्थाओं से शुरू होकर तथा संस्थागत स्तर पर भी इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को चरणबद्ध ढंग से अनिवार्य किया जाएगा।

इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉइंट के लिए प्रोत्साहन -

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का मकसद इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण और अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र के लिए निवेश आकर्षित करना है। राज्य नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक अलग सचिवालय तैयार करेगा। जहां नीति प्रगति की निगरानी और खरीदारों को इलेक्ट्रिक वाहनों एवं इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉइंट के लिए प्रोत्साहन के हस्तांतरण को लेकर एक क्रियाविधि परिचालन दिशा-निर्देश विकसित करेगा।

नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के तहत हिमाचल प्रदेश में विशेष इलेक्ट्रिक व्हीकल पार्क स्थापित किए जाएंगे तथा 15 हजार फोर व्हीलर, 50 हजार टू व्हीलर और 500 थ्री व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहन बनाए जाएंगे। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए राज्य में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स तैयार की जाएंगी। इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड बढ़ने से ज्यादा उद्योग खोले जाएंगे, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल करने वालों की सुविधा के लिए नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर 25 किलोमीटर के दायरे में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे और बिजली बोर्ड इन्हें पावर सप्लाई प्रदान करेगा। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर प्रति किलोवाट के हिसाब से सब्सिडी तय करेगी। यही नहीं, ईंधन पर चलने वाले पुराने वाहनों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील किया जा सकेगा, जिसके लिए प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी अगले पांच साल तक लागू होगी तथा राज्य सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सड़क टोकन टैक्स में छूट देगी। हाइवे पर भी राज्य और बाहरी प्रदेशों के इलेक्ट्रिक वाहनों से टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा वाणिज्यिक परमिट फीस में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार छूट दी जाएगी। यह छूट इस नीति के लागू होने की अवधि यानी पांच साल तक मान्य होगी।

नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत राज्य सरकार एक इलेक्ट्रिक व्हीकल पार्क तैयार करेगी, जोकि 100-200 एकड़ में बनाया जाएगा। राज्य औद्योगिक नीति के तहत पर्याप्त बुनियादी ढांचे, सामान्य सुविधाएं और आवश्यक बाहरी बुनियादी ढांचों के साथ इलेक्ट्रिक वाहन पार्क विकसित किया जाएगा। 120 वोल्ट से कम बैटरी पैक्स वाले वाहन लाइट इलेक्ट्रिक व्हीकल की श्रेणी में आएंगे, जबकि 500 वोल्ट से ज्यादा क्षमता वाले हैवी इलेक्ट्रिक वाहन कहलाएंगे। बसों में भी इतनी ही क्षमता होगी। ई-स्कूटर में 50 किलोमीटर तक चलने के बैकअप वाली इनबिल्ट बैटरी होगी। इसके साथ एक अतिरिक्त बैटरी 50 किलोमीटर तक चलने वाली होगी।

इलेक्ट्रिक गाड़ियां सरकारी उपयोग के साथ-साथ टैक्सी कार के रूप में उपयोग की जाएंगी। बिल्ट इन बैटरियों को रात में घर पर ही चार्ज किया जा सकता है और रोजाना लगभग 80-100 किलोमीटर की दूरी तक प्रयोग में लाई जा सकती है। शहरों, राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राज्य राजमार्गों पर एक्सटेंशन बैटरी के लिए फास्ट चार्जिंग स्टेशन के साथ-साथ स्वैपिंग स्टेशन भी स्थापित किए जाएंगे। वाहनों को बिजली से चार्ज करने के आधारभूत ढांचे को तैयार करने के लिए बिजली बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाया गया है। एक वर्ग किलोमीटर के ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन बनाया जाएगा। शिमला, मंडी, बद्दी और धर्मशाला शहर में एक-एक ऐसे जोन तैयार किए जाएंगे, जहां पर गाड़ियों से गैसों का शून्य उत्सर्जन हो।

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