हिन्दी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं की सखी है, इनमें कोई अंतर नहीं : गृहमंत्री शाह

हिन्दी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं की सखी है, इनमें कोई अंतर नहीं : गृहमंत्री शाह
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नईदिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि हिन्दी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं की 'सखी' है और इनके बीच कोई अंतर-विरोध नहीं है। सह अस्तित्व के साथ सभी भारतीय भाषायें आगे बढ़ें और इस दिशा किये गये प्रयासों का निरंतर मूल्यांकन हो। इस कार्य में 'हिन्दी दिवस' की महत्ती भूमिका है।

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में वर्ष 2018-19, 19-20 और 20-21 के लिए विभिन्न श्रेणियों में राजभाषा पुरस्कार प्रदान किये गये। यह पुरस्कार राजभाषा के उपयोग और विकास में योगदान के लिए मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों तथा व्यक्तियों को दिये जाते हैं। कार्यक्रम के दौरान मंत्रालय में उनके सहयोगी मंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्र और निषिथ प्रमाणिक भी मौजूद थे।

भाषा मूल्यांकन का आधार नहीं -

शाह ने कहा कि देश की आजादी में स्वदेशी, स्वभाषा और स्वराज इन तीन शब्दों का बड़ा योगदान रहा है। आजादी के साथ देश को स्वराज मिल गया। स्वदेशी के लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रयास जारी है। स्वभाषा के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा।अपनी भाषा के प्रति संकोच और छोटेपन का भाव समाप्त करना होगा। गृहमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री प्रमुख वैश्विक मंचों पर हिन्दी में उद्बोधन दे रहे हैं। स्पष्ट है कि भाषा किसी का मूल्यांकन का आधार नहीं हो सकती। व्यक्ति के विचार और कर्म से ही उसका मूल्यांकन संभव है। हमें नई पीढ़ी को स्वभाषा के महत्व को समझाना होगा और युवा मन को संस्कृति तथा संस्कारों से भरने के लिए इनका प्रयोग करना होगा। उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों के माता-पिता से अनुरोध किया कि वे अपने बच्चों से घरों में स्वभाषा में बात करें।

नई शिक्षा नीति में महत्व -

शाह ने इस दौरान नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को दिये गये महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अपने आपको पूर्ण रूप से केवल अपनी मातृभाषा में ही अभिव्यक्त कर सकता है। मातृभाषा में मिली शिक्षा से ही बेहतर व्यक्तित्व की नींव रखी जा सकती है। शाह ने इस दौरान राजभाषा विभाग की ओर से हिन्दी के लिये किये जा रहे प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध देश के विभिन्न क्षेत्रों के इतिहास का अनुवाद किया जा रहा है। स्कूल कॉलेजों में राजभाषा के विकास के लिए कार्य किये जा रहे हैं।

जनमानस का रुख बदला -

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनमानस का राजभाषा के प्रति रुख बदला है। आज संसद में भी पहले से अधिक सांसद हिन्दी का उपयोग करते हैं। कोरोना काल में विभिन्न परिस्थितियों में राष्ट्र के नाम दिए 35 संबोधनों में प्रधानमंत्री ने हिन्दी का ही उपयोग किया। इसने देश को एकजुट होकर कोरोना महामारी से कम क्षति के साथ उबरने का संबल प्रदान किया।


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