गृह मंत्रालय ने कोरोना को लेकर 31 दिसंबर तक लागू किये यह नए नियम
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1 दिसंबर से 31 दिसंबर तक की नई गाइडलाइन जारी की है। गृह मंत्रालय के ताजा दिशा-निर्देश के मुताबिक, राज्यों को कड़ाई से संक्रमण के रोकथाम उपायों को लागू करने, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कहा गया है।
जानिए यह है दिशा-निर्देश
* गृह मंत्रालय ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगाने के फैसले के लिए राज्य सरकारों को पूरी छूट दे दी है।
* राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि लोग मास्क लगाएं, हैंड सैनिटाइज करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मास्क न लगाने वालों पर राज्य सरकार अपने हिसाब से जुर्माना तय कर सकती हैं।
* सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर जुर्माना लगेगा। जहां तक संभव हो, वर्क फ्रॉम होम पर जोर रहना चाहिए।
* एक राज्य से दूसरे राज्य या किसी राज्य के ही भीतर लोगों और सामानों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं रहेगी। आवाजाही के लिए अलग से किसी भी तरह के परमिट/ई-परमिट की जरूरत नहीं होगी।
* ज्यादा जोखिम वाले लोगों जैसे 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों, पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों, गर्भवती महिलाओं, 10 साल से कम उम्र के बच्चों को घरों में ही रहने की सलाह दी गई है।
* शहरों में साप्ताहिक केस पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से ऊपर रहेगी, वहां दफ्तरों, फैक्ट्रियों, दुकानों आदि में वर्किंग ऑवर अलग-अलग समय पर करने की सलाह दी गई है।
* राज्यों को कंटेनमेंट जोन्स से बाहर स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन (राज्य/जिला/सब डिविजन/शहर स्तर पर) लागू करने से पहले केंद्र के साथ चर्चा करनी होगी। बिना पूर्व चर्चा के स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लागू नहीं किए जा सकेंगे।
* नई गाइडलाइंस में भी सिनेमा हॉल्स, थिअटर्स, स्विमिंग पूल्स आदि को लेकर पाबंदियां जारी हैं। सिनेमा हॉल अभी भी 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ चलेंगे।
* गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी भी तरह के कार्यक्रम चाहे वे धार्मिक हों, सामाजिक हों, खेल से हों, मनोरंजन या शैक्षणिक हों, उसमें 200 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते।
गाइडलाइंस के मुताबिक, कंटेनमेंट जोन्स की सूची को डिस्ट्रिक्ट कलेक्टरों और संबंधित राज्यों की वेबसाइटों पर प्रकाशित करना होगा। कंटेनमेंट जोन्स के लिए बनाए गए नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस, निगम और जिला प्रशासन की होगी। राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें इस बारे में अफसरों की जवाबदेही तय करेंगी।