IIT कानपुर का दावा: पश्चिमी देशों की तरह भारत में वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरुरत नहीं

IIT कानपुर का दावा: पश्चिमी देशों की तरह भारत में वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरुरत नहीं
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कानपुर। वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने एक बार फिर अपने गणितीय मॉडल के आधार पर भविष्यवाणी की है। उन्होंने दावा किया कि भारत में लगने वाली कोरोना वैक्सीन का परिणाम बेहतर है। यहां पर वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरुरत पश्चिमी देशों की भांति नहीं पड़ने वाली है। उत्तर भारत में सीरो-पॉजिटिविटी औसत से अधिक है, इसीलिए यहां की स्थितियां बेहतर हैं, लेकिन केरल में अभी भी बहुत सुधार की जरुरत है। फिलहाल कोरोना की तीसरी लहर की आशंका न के बराबर दिखाई दे रही है।

आईआईटी कानपुर के कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल कोरोना को लेकर बराबर गणितीय माडल के जरिये इस महामारी की भविष्यवाणी कर रहे हैं और उनका आकलन लगभग सही निकल रहा है। मणींद्र अग्रवाल ने अब कहा है कि भारत को फिलहाल वैक्सीन की बूस्टर डोज की कोई जरूरत नहीं दिखती। अमेरिका और यूरोप में वैक्सीन की तीसरी या चौथी डोज देने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। जबकि भारत में इस्तेमाल की जा रहीं वैक्सीन इस घातक म्यूटेंट के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर रही हैं।

प्रोफेसर अग्रवाल ने वैक्सीन न लगवाने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे लोग कभी भी संक्रमित हो सकते हैं। इसके लिए तीसरी लहर का इंतजार करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। वैक्सीन न लगवाने वाले हमेशा खतरे में हैं, जबकि वैक्सीन लगवाने वालों को ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन हुआ तो भी ज्यादातर लोगों को अस्पताल नहीं जाना होगा। इजरायल, इंग्लैंड और अमेरिका इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

केरल में बढ़ रहे मामले -

उन्होंने कहा कि कुछ प्रदेशों में हालात सामान्य हो गए हैं। जिस रफ्तार से देश में टीकाकरण चल रहा है, उससे उम्मीद है कि बाकी प्रदेशों में भी जल्द जीवन सामान्य होगा। वहीं केरल में कुछ दिनों से रोजाना 30 हजार से ज्यादा मामले मिलने पर प्रोफेसर अग्रवाल ने साफ कहा कि ये तीसरी लहर नहीं है, बल्कि दूसरी लहर का विस्तार है। जून में हुए देशव्यापी सीरोलॉजिकल सर्वे में साफ बताया गया था कि केरल में सीरो-पॉजिटिविटी सिर्फ 45 प्रतिशत के स्तर पर है। जबकि भारत की औसत सीरो-पॉजिटिविटी 70 प्रतिशत के आसपास थी। केरल में उत्तर जाएंगे।भारत के राज्यों की तरह स्थितियां सामान्य होने में कुछ समय लगेगा। वहां सीरो-पॉजिटिविटी 60-65 प्रतिशत पहुंचने के बाद केस आने कम होने लगेंगे।

हॉस्पिटलाइजेशन जैसी नहीं होगी स्थिति -

दिसम्बर तक कोरोना वैक्सीन डबल डोज लगने के बाद क्या हालात सामान्य होंगे, इस पर प्रोफेसर का कहना है कि जो हमारे पास अन्य देशों के उदाहरण हैं, जहां वैक्सीनेशन के बावजूद जब डेल्टा वैरियंट पहुंचा तो इंफेक्शन की संख्या वहां बढ़ी। हालांकि इसके बाद भी ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा। इसे देखकर लगता है कि टीका चाहे पूरी प्रकार से नए संक्रमण से रक्षा न कर पाए, लेकिन हॉस्पिटलाइजेशन जैसी स्थिति नहीं आने देती। यही हम आशा करते हैं कि भारत में जैसे-जैसे वैक्सीनेशन बढ़ रहा है तो लोगों में इस तरह की इम्युनिटी आती जा रही है कि यदि उनको संक्रमण होता भी है तो ज्यादा कोई परेशानी नहीं होगी।

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