भारत-रूस का रिश्ता बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बावजूद निरंतर मजबूत बना रहा

भारत-रूस का रिश्ता बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बावजूद निरंतर मजबूत बना रहा
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भारत और रूस के विदेश मंत्रियों ने की मुलाकात

नईदिल्ली। भारत और रूस के बीच सोमवार को रक्षा और विदेश मंत्री स्तर की 'टू प्लस टू' वार्ता के दौरान भारत ने देश की उत्तरी सीमाओं पर 'सैन्य जमावड़े' और पड़ोस से हो रहे 'बिना उकसावे की अतिक्रमण प्रयासों का विशेष उल्लेख किया। चीन का नाम लिए बिना रक्षा मंत्री ने अपने शुरुआती वक्तव्य में जोर देकर कहा कि भारत मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता की अंतर्निहित क्षमता के बल हर चुनौतियों से पार पा लेगा।

भारत और रूस के बीच सोमवार को रक्षा एवं विदेश मंत्री स्तर की वार्ता हुई। करीब दो घंटे चली इस वार्ता में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भाग लिया। वहीं रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और मंत्री सर्गेई शोइगु ने भाग लिया।रक्षा और विदेश मंत्री स्तर की पहली बार रूस के साथ हो वार्ता में दोनों देशों के मंत्रियों ने अपना शुरुआती वक्तव्य रखा। शुरूआती वक्तव्य में राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने 2020 की गर्मियों की शुरुआत से महामारी, पड़ोस में असाधारण सैन्य व हथियारों के जमावड़े और उत्तरी सीमा पर अकारण आक्रामकता जैसी कई चुनौतियों का सामना किया है।

आत्मनिर्भर बनने में सहयोग -

भारत की अपेक्षा को सामने रखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण हालात में रूस भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि हमने रूस से सैन्य-तकनीकी तथा उन्नत अनुसंधान सहयोग के साथ रक्षा उपकरणों के सह-विकास और सह-उत्पादन का आग्रह किया है, जिससे भारत को आत्मनिर्भरता मिल सके।

हिंद महासागर क्षेत्र में अधिक ताल-मेल बनाने का प्रस्ताव -

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि भारत ने रूस के साथ मध्य एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अधिक ताल-मेल बनाने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध हाल के दिनों में अभूतपूर्व तरीके से बढ़े हैं। मास्को की अपनी यात्रा को याद करते हुए राजनाथ ने कहा कि उन्हें दो बार मास्को और एक बार दुशांबे में जाने का मौका मिला।रूस के रक्षा मंत्री ने इस दौरान दोनों देशों के अंतरसरकारी आयोग में हुई चर्चा का जिक्र किया । उन्होंने बताया कि इसमें भविष्य के रक्षा सहयोग को लेकर योजना बनाई गई है। दोनों देशों की एजेंसियां आपसी विश्वास बढ़ाने और विश्व को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए निरंतर सहयोग करती रहेंगी।

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