भारतीय सेना ने चीन की सेना को सौंपे थे 26 सैनिकों के शव

भारतीय सेना ने चीन की सेना को सौंपे थे 26 सैनिकों के शव
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दोनों देशों के बीच शवों के आदान-प्रदान के दौरान हुई थी ​फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी
पीएलए​ के ​70 से अधिक ​घायल ​सैनिकों ​को भी भारत ने किया था चीन के हवाले

नई दिल्ली। गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के एक हफ्ते बाद भी भले चीन ने अपने हताहत सैनिकों की संख्या के बारे में खुलासा न किया हो लेकिन तीन दौर की हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच शवों के आदान-प्रदान के दौरान भारतीय सेना ने 26 सैनिकों के शव चीनी सेना को सौंपे थे ​। इसकी ​​फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई​ है​। ​​इसके अलावा​ ​पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ​(​​​पीएलए​)​ के ​70 से अधिक ​घायल ​सैनिकों ​को भी उनके हवाले किया गया है। यही वजह है कि पीएलए ​इस घटना के एक हफ्ते बाद भी ​अपना नुकसान ​बताने से कतरा रही है​​​​​​​​। ​

​गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से चीनियों का पहला टकराव 15 जून की शाम 7 बजे हुआ था​। इस दौरान भिड़ंत सिर्फ हाथापाई और धक्का-मुक्की तक ही सीमित रही​। 30 मिनट तक चली इस लड़ाई में दोनों ओर से लोग चोटिल हुए, लेकिन भारतीय सैनिक चीनियों पर भारी पड़े​। इस दौरान 16 बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीन की उस पोस्ट को तोड़ दिया जो 6 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में बनी सहमति के बावजूद बनाई गई थी​। झड़प का दूसरा दौर रात 9 बजे के करीब शुरू हुआ, जब भारत के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू के सिर से एक बड़ा पत्थर टकराया और वे गलवान नदी में गिर गए। यह टकराव करीब 45 मिनट तक चला। रात के अंधेरे में दोनों सेनाओं के करीब 300 सैनिक एक-दूसरे से लड़ रहे थे। आमने-सामने की इसी लड़ाई में चीनियों ने कील लगे रॉड और डंडों का इस्तेमाल किया।

चीन और भारतीय सैनिकों के बीच तीसरा टकराव रात 11 बजे के बाद शुरू हुआ और छिटपुट तरीके से आधी रात के बाद तक जारी रहा। यह झड़प पूरी तरह से चीनी सीमा में हुई। इस दौरान भारतीय सैनिक चीनियों पर टूट पड़ रहे थे और कई चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ डाली थी लेकिन संकरी घाटी और सीधी चढ़ाई होने की वजह से भारत और चीन के कई जवान गलवान नदी में गिर गए। कई सैनिकों को गिरते वक्त पत्थरों से चोट लगी।करीब सात बजे शुरू हुई इस लड़ाई के 5 घंटे गुजर जाने के बाद भारत और चीन के स्वास्थ्यकर्मी पहुंचे और अपने-अपने सैनिकों का इलाज शुरू किया। रात के अंधेरे में ही दोनों सेनाओं की ओर से घायल और मृत सैनिकों का आदान-प्रदान हुआ।

तीसरी लड़ाई ​ख़त्म होते-होते सुबह का उजाला होने लगा था।​ उसके बाद​ ​चीन को ​​5 ​सैन्य अधिकारियों समेत ​​2​6 सैनिकों के शव सौंपे गए​, ​जिसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई​।​ ​हालांकि ​शवों के आदान-प्रदान के लिए बनी ​रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि इन ​शवों ​में चीन के कमांडिंग ऑफिसर ​का शव था या नहीं​​​।​ इस तरह से ​2​6 चीनी ​सैनिकों की मौत ​गलवान घाटी में ही ​हुई थी।​ इसके बाद अनुमान है कि जिस तरह ​इस ​लड़ाई के दूसरे दिन भारत के 17 जख्मी जवानों ने अपनी जान गंवाई थी, उसी तरह चीन के भी ​70 जख्मी जवानों ​में से कई की मौत ​हुई होगी​।​ हालांकि इसके बारे में ​अभी तक ​चीन की ओर से न कोई पुष्टि हुई है और न ही होने की संभावना है​​​​​​।​​

शवों ​के ​आदान-प्रदान के​ दौरान भारत के 10 सैन्यकर्मियों को चीन ने पकड़ लिया, जिसमें 2 मेजर, 2 कैप्टन और 6 जवान शामिल थे। भारत ने भी चीन के करीब 15 सैनिक अपने कब्जे में ले लिए जिसमें चीन के कमांडिंग अफसर भी था। ​चूंकि तीसरी लड़ाई के बाद ​बंधक बनाए गए दोनों देशों के एक-दूसरे के सैनिक सौंपने की कोई स्थिति नहीं थी​, इसलिए ​कई सैनिक इधर-उधर रह गए​​।​​​ 16 जून की सुबह ​7.30 बजे ​दोनों पक्षों के मेजर जनरल ​की वार्ता हुई जो दोपहर तक चली​।​ इस बैठक में दोनों पक्षों के 'लापता' सैनिकों को वापस करने पर सहमति बनी​​​​।​ दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 16 जून से गुरुवार तक मेजर जनरल स्तर पर तीन दौर की वार्ता हुई। ​इसके बाद ​भारत और चीन ने एक दूसरे के ​बंधक बनाए गए सैनिकों को ​19 जून की रात सौंप दिया​​।

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