असम में केंद्र सरकार ने दशकों पुराने संकट का निकाला हल, कार्बी शांति समझौते पर लगी मुहर
नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को नई दिल्ली में त्रिपक्षीय "कार्बी शांति समझौते" पर हस्ताक्षर किये। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और छह कार्बी संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में यह शांति समझौता हुआ। समझौते के बाद अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि मोदी सरकार दशकों पुराने संकट को हल करने और असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शांति समझौता केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में हुआ। समझौते पर कार्बी विद्रोही संगठनों की ओर से हस्ताक्षर करने वालों में कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट (केएलएनएलएफ), यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (यूपीएलए), कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (केपीएलटी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके) की तीन धड़ों के प्रमुख शामिल हैं।
असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन -
समझौते के बाद अमित शाह ने कहा कि असम में कार्बी समझौता एक ऐतिहासिक समझौता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार दशकों पुराने संकट को हल करने और असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने समझौते के बाद कहा कि कार्बी आंग्लांग समझौते पर हस्ताक्षर असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। नए समझौते के तहत पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत आरक्षण के हकदार होंगे। दिल्ली में कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद कार्बी लोंगरी नॉर्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट के प्रदीप तेरांग ने कहा कि कार्बी आंगलोंग के विकास की हमारी 90-95% मांगों को इस समझौते से पूरा किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि यह समझौता हमें विकास की ओर ले जाएगा और शांति लाएगा।
क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित -
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को धन्यवाद देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा, 'ऐतिहासिक कार्बी समझौते पर हस्ताक्षर के लिए मैं केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं जो दशकों पुराने संकट को हल करने, असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं असम के मुख्यमंत्री को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। आज के इस समझौते में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों का भी योगदान है। सोनोवाल ने कहा, 'मेरा मुंबई में तीन दिनों का कार्यक्रम था, लेकिन मुझे पता चला कि यहां एक महत्वपूर्म काम होने वाला है, इसलिए मैंने यहां मौजूद रहने के लिए अपना दौरा रद्द कर दिया।'
शांति कायम होगी -
इस मौके पर कार्बी आंग्लांग स्वायत्तशासी परिषद के सीईएम तुलीराम रांग्हांग ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार, राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जिला कार्बी आंग्लांग में अब शांति कायम होगी तथा इलाके का तेजी से विकास होगा। इस मौके पर केंद्र और राज्य सरकार के सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
इसलिए मह्त्वपूर्ण -
यह समझौता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई गुटों में बिखरे असम के प्रमुख जातीय समुदाय कार्बी के विद्रोह का लंबा इतिहास रहा है, जो 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान में शामिल रहा है। लगभग 200 कार्बी उग्रवादी उन 1,040 उग्रवादियों का हिस्सा हैं, जिन्होंने इस साल 25 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की उपस्थिति में गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से हथियार डाल दिए थे। आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादी कई दिन पहले ही दिल्ली पहुंचे थे। वहां पर वे अलग-अलग होटलों में ठहरे थे। यह भी आज समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान मौजूद थे।
338 हथियार जमा किए
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों में इंग्ती कथार सोंगबिजित भी शामिल था, जो राज्य में उग्रवाद और जातीय हिंसा के कई मामलों में शामिल रहा है। इन उग्रवादियों ने कुल 338 हथियार जमा किए, जिनमें 11,203 गोलियों के साथ 8 लाइट मशीनगन, 11 एम-16 राइफल और 58 एके-47 राइफल भी थी। पांचों संगठनों के उग्रवादी एक साल बाद तब अपने हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने आए थे जब भाजपा ने बोडोलैंड में लंबे समय से चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।