लॉकडाउन से कोई नतीजा नहीं निकला, राहुल ने पूछा - पीएम मोदी बताएं आगे की स्ट्रैटजी क्या?
दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश और दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन और अलग-अलग तरह की पाबंदियां लागू हैं, मगर अब तक इसकी रफ्तार में कमी देखने को नहीं मिल रही है। भारत में कोरोना वायरस का कहर तेज गति से और बढ़ता ही जा रहा है और इसके पॉजिटिव मामलों की संख्या 1 लाख 45 हजार के करीब हो गई है। अब तक देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 145380 पहुंची है, जिनमें से 4167 लोगों की मौत हुई है और 60490 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं विश्व स्तर की बात करें तो दुनियाभर में कोरोना वायरस के मरीजों की सख्या 55 लाख पार कर चुकी है।
राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन के 4 स्टेज फेल हो चुके हैं, ऐसे में मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि आगे के लिए उसकी क्या रणनीति है। मजदूरों के लिए क्या व्यवस्था है, MSMEs को कैसे खड़ा करेंगे? सरकार कहती है कि GDP का 10% पैकेज के रूप में दिया है मगर असल में 1 पर्सेंट ही मिला है। मजदूरों से मुलाकात पर राहुल गांधी ने कहा कि जब मैं उनसे मिला तो कुछ ने कहा कि 'हमारा भरोसा टूट गया'। राहुल ने कहा कि मुझे किसी के मुंह से यह सुनना पसंद नहीं, चाहे अमीर हो या गरीब। सरकार अभी भी उनकी मदद कर सकती है।
राहुल ने कहा कि पीएम मोदी ने नैशनल टीवी पर बताया था कि लॉकडाउन का मकसद है कि हम 21 दिन में कोरोना को हरा देंगे। चौथा लॉकडाउन खत्म होने को आ गया मगर बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि राज्यों के पीछे अगर केंद्र सरकार खड़ी नहीं होगी तो वे कोरोना से नहीं लड़ पाएंगे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या कोरोना की वजह से नहीं आई है। वह पहले से चली आ रही थी। अब इस पूरी समस्या में एक नया एलिमेंट जुड़ गया है। कारोबार बंद हो गए, कई सारे मझोले उद्योग बंद होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम इसीलिए छोटे उद्योगों को पैसा देने की डिमांड कर रहे हैं। अगर हम ऐसा नहीं करते तो ये आत्मघाती होगा।
चीन और नेपाल के साथ सीमा विवाद पर राहुल गांधी ने सरकार से 'ट्रांसपेरेंसी' की डिमांड की। उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर जो भी हुआ, उसके बारे में सरकार को साफ-साफ बताना चाहिए। राहुल ने कहा कि एक बार सरकार पूरी जानकारी सामने रख दे, फिर मैं कुछ कहूंगा।
राहुल ने कहा कि फरवरी में जो चेतावनी मैंने सरकार को दी थी, वही आज भी कह रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरा काम देश की समस्याओं के बारे में सरकार को आगाह करना है। उन्होंने कहा कि "मेरे कुछ जानने वाले पॉलिसीमेकर्स बताते हैं कि सरकार सोचती है कि अगर बहुत सारा पैसा गरीब लोगों को दे दिया तो बाहर के देशों में गलत इम्प्रेशन चला जाएगा, हमारी रेटिंग खराब हो जाएगी। मैं फिर से कह रहा हूं कि हिंदुस्तान की इमेज बाहर नहीं बनती, हिंदुस्तान के अंदर बनती है।" उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की शक्ति की रक्षा करने की जरूरत है। इसके लिए 50 फीसदी लोगों को डायरेक्ट कैश देना होगा। महीने का साढ़े सात हजार रुपये देना होगा।
उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों के लिए बसों से जुड़े विवाद पर राहुल ने कहा कि 'लोग पहले भारतीय हैं और फिर वे राज्यों के। कोई किस राज्य से कहां जाकर काम करेगा, यह किसी राज्य का मुख्यमंत्री नहीं तय करेगा।' राहुल ने कहा कि 'यूपी सीएम ने मजदूरों को पर्सनल प्रॉपर्टी की तरह यूज किया है।'
राहुल ने पीएम मोदी से कहा कि वे सामने आकर देश को बताएं कि आगे का क्या प्लान है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने अलग ही पोजिशन अपना रखी है। पहले उन्होंने फ्रंटफुट पर खेला, फिर वह दिखना ही बंद हो गया। प्रधानमंत्री को देश देखना चाहता है, उन्हें बताना होगा कि आगे की रणनीति क्या है। उन्हें फ्रंटफुट पर आकर खेलना होगा।'
एयरलाइंस और ट्रांसपोर्ट के मीडियम ओपन करने पर राहुल गांधी ने कहा कि वे कोई एक्सपर्ट नहीं हैं। आपको एक्सपर्ट बताएंगे कि भारत को कैसे-कैसे खोलना चाहिए। लेकिन मैं ये समझता हूं कि जब भी आप खोलें, आपको राज्यों से इनपुट्स लेने होंगे, एक्सपर्ट्स से इनपुट लेने होंगे, सिस्टमेटिकली काम करना होगा। राहुल ने कहा कि 'मुझे चिंता है कि नॉन-लॉकडाउन वाले हालात में कोरोना की सेकेंड वेव आ सकती है जो बेहद खतरनाक होगी।'
महाराष्ट्र में कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। वह देश का सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है और 50 हजार से ज्यादा केसेज हैं। राहुल गांधी ने कहा कि 'वेल-कनेक्टेड जगहों पर कोरोना ज्यादा फैल रहा है। हम महाराष्ट्र में सरकार की मदद कर रहे हैं मगर फैसले पूरी तरह से हमारे हाथ में नहीं। सरकार चलाने और सरकार को समर्थन देने में फर्क होता है। महाराष्ट्र अपनी कनेक्टिविटी के नेचर की वजह से संघर्ष कर रहा है। उसे भारत सरकार से पूरे समर्थन की जरूरत है।' पिछले हफ्ते राहुल गांधी ने कहा था कि लॉकडाउन का कोई नतीजा सामने नहीं आया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दो मकसद थे, बीमारी (कोरोना) को रोकना और इसके प्रसार को रोकना लेकिन संक्रमण बढ़ रहा है। कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के 'पैकेज' को खारिज करते हुए कहा था कि 'लोग कर्ज नहीं बल्कि मदद चाहते हैं।'