लॉकडाउन ने छिनी मजदूरों की रोजी, मदद पर विचार कर रही सरकार
नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन के चलते समस्याओं से जूझ रह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में कार्यरत श्रमिकों की मजदूरी की रक्षा के लिए केंद्र सरकार विकल्प तलाश रही है। 3 मई तक बढ़े लॉकडाउन से छोटे व्यवसायों को नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। अनसोल्ड गुड्स और डिलेड पेमेंट ने सेक्टर के लिए कमाई को बंद कर दिया है।
श्रम सचिव हीरालाल सामरिया ने बुधवार को फिक्की द्वारा आयोजित वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्यापार जगत के नेताओं के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने पेरोल-केंद्रित प्रोत्साहन की संभावना पर चर्चा की ताकि छोटे व्यवसाय श्रमिकों को बनाए रख सकें और मजदूरी का भुगतान कर सकें।
MSME क्षेत्र में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 28% हिस्सा है और देश की श्रम शक्ति का 30% यहां कार्यरत है, जिससे यह 100 मिलियन से अधिक श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण नियोक्ता है।व्यापार जगत के नेताओं ने सामरिया से कहा कि लॉकडाउन छोटे व्यवसायों को खत्म कर सकता है। ऑल-इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार लगभग 70% छोटे व्यवसाय मार्च में श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान करने में विफल रहे।
सरकार ने पिछले महीने छोटे कारोबारियों को फरवरी से जून तक गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स का भुगतान करने से रोक दिया था ताकि उनके नकदी प्रवाह को बेहतर बनाया जा सके। फिक्की ने राहत उपायों के लिए अपने प्रस्तावों में कहा है कि कच्चे माल की बाधित आपूर्ति, बंद परिवहन और श्रम की कमी ने इस क्षेत्र को एक ठहराव में लाया है। सामरिया ने बताया कि उनके मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों का समर्थन पर भी ध्यान दे रही है। श्रम मंत्रालय राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर 20 क्षेत्रीय कॉल सेंटरों के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों का डेटा एकत्र कर रहा है।