लोकसभा अध्यक्ष का विपक्ष पर निशाना, कही ये...बात

लोकसभा अध्यक्ष का विपक्ष पर निशाना, कही ये...बात
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नईदिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों का सर्वप्रथम प्रयास जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूर्ण कर, उनके अभावों और कठिनाइयों को दूर करने का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन गतिरोध का नहीं बल्कि चर्चा और संवाद का केंद्र बने।

बिरला ने आज संसद भवन परिसर में पुदुचेरी की 15वीं विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों हेतु प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने आए पुदुचेरी विधानसभा के अध्यक्ष और विधायकों ने मंगलवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला से भेंट की। इस दौरान बिरला ने मंत्रियों और विधायकों का आह्वान करते हुए कहा कि सदन गतिरोध का नहीं बल्कि चर्चा और संवाद का केंद्र बने।

बिरला ने कहा कि विधायिका को जनता के प्रति जवाबदेही, शासन की निगरानी, कार्यपालिका पर नियंत्रण और सरकार की नीतियों की समीक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। जनता ने हमें उनकी आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए चुना है। हम अपने दायित्वों को निभाएं और जनता के भरोसे को जीतें। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों का लक्ष्य जनता का कल्याण होना चाहिए। जो भी बजट आवंटित हो, उसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। विधायिका इसकी भी निगरानी करे तथा सरकार के कार्यों से समाज पर पड़ने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का आकलन करें।

लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि सभी दलों को आपस में चर्चा कर सदन के कार्यकरण में सुधार लाने के प्रयास करने चाहिए। हम अन्य सदनों की बेस्ट प्रेक्टिसेज का अध्ययन करें और उन्हें अपनाएं। सदनों में शून्य काल भी अवश्य होना चाहिए ताकि जनता से जुड़े मुद्दे तत्काल संज्ञान में लाए जा सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को भी चाहिए कि वे सदन में उठने वाले प्रत्येक विषय का जवाब दे, कार्यपालिका उन विषयों पर सकारात्मक परिणाम दें। इससे सदनों की उपयोगिता और बढ़ेगी। बिरला ने पुदुचेरी विधानसभा के नए भवन के निर्माण पर शुभकामनाएं भी दीं।

उन्होंने कहा कि नए भवन में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग हो ताकि हम जनता तक प्रत्येक सूचना को सुगमता के साथ समय पर पहुंचा सकें। इससे हमें जनता का फीडबैक जानने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सार्वजनिक और निजी जीवन में आचरण के उच्चतम प्रतिमानों का छूना चाहिए। हमारा आचरण ऐसा हो जो सदन की गरिमा में अभिवृद्धि करे, समाज को प्रेरणा दे और अन्य लोगों के लिए उदाहरण बने। जनप्रतिनिधि स्वयं में एक संस्था है, ऐसे में उसका जनता से सीधा जुड़ाव और संवाद होना चाहिए।

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