नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफा वापिस लेते ही दिखाए तेवर, मांगों पर अड़े
चंडीगढ़। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने 28 सितंबर को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी।
सिद्धू ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में अपने नवीनतम निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि यह कभी भी व्यक्तिगत नहीं था। उन्होंने कहा कि जिस दिन राज्य को नया पुलिस महानिदेशक और महाधिवक्ता मिल जाएगा, वह पंजाब कांग्रेस के प्रमुख के रूप में अपने कामकाज पर लौट आएंगे। यह घटनाक्रम एडवोकेट जनरल एपीएस देओल के अपने पद से इस्तीफा देने और पंजाब सरकार द्वारा पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग को 10 नामों की सूची भेजे जाने के लगभग एक महीने बाद आया है।
सिद्धू ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में राज्य सरकार से राज्य में बेअदबी के मामलों की जांच और राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी पर एक विशेष कार्य बल की रिपोर्ट पर सवाल उठाया और यह जानने की मांग की कि इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलने का क्या तुक रहा, क्योंकि मुख्य मुद्दे अभी भी अनसुलझे है।
उन्होंने कहा, "जिन मुद्दों पर कांग्रेस नेताओं ने चुनाव जीता, उन पर ध्यान नहीं दिया गया है। राजनीति में काम करने के दो तरीके होते हैं- या तो चुनाव जीतने के झूठे वादे करना या फिर राज्य के कल्याण के बारे में सोचना। अगर सरकार के पास एसटीएफ की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का अधिकार नहीं है, तो पार्टी को ऐसा करने दें।''हालांकि उन्होंने राज्य में बिजली की दरें कम करने के लिए चन्नी सरकार की प्रशंसा की।
जब सिद्धू ने सितंबर में पार्टी से इस्तीफा दे दिया तो उन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार द्वारा की गई दो नियुक्तियों का सार्वजनिक रूप से विरोध किया था, जिनमें एक थे कार्यवाहक डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता और राज्य के एडवोकेट जनरल एपीएस देओल।सहोता 2015 में राज्य में पहले बेअदबी मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे थे और देओल 2015 में बहबल कलां पुलिस फायरिंग में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी के कानूनी प्रतिनिधि थे, जब पुलिस ने राज्य में बेअदबी की घटनाओं का विरोध कर रहे लोगों पर गोलीबारी की थी। पुलिस कार्रवाई में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।