कोरोना पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने जयपुर, इंदौर सहित इन 4 शहरों को चुना मॉडल

कोरोना पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने जयपुर, इंदौर सहित इन 4 शहरों को चुना मॉडल
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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने इन चार शहरों ने जिस तरह कोरोना वायरस को काबू किया है, उससे अब देश के दूसरे शहर भी सीख लेंगे। केंद्र सरकार ने अधिक कोरोना वायरस केसों के बेहतर प्रबंधन और मृत्यु दर को कम रखने के लिए दो-दो शहरों के मॉडल को सबसे बेहतर पाया है।

पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार ने अलग-अलग नगर निगमों के बीच मीटिंग कराई है ताकि कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर वे आपस में अनुभव साझा कर सकें। इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मुख्य रूप से दो पहलुओं पर बात हुई कि कैसे अधिक कोरोना वायरस केसों से निपटा जाए और मृत्यु दर कैसे कम रहे।

जयपुर और इंदौर की पहचान ऐसे महानगरों के तौर पर हुई है जो नए तरीकों से अधिक केसों से निपटे और चेन्नई-बेंगलुरु दो ऐसे बड़े शहर हैं जो मृत्युदर को बेहद रखने में सफल हुए हैं।

देश के कई नगर पालिकाओं में राष्ट्रीय स्तर से अधिक डबलिंग रेट, केस वृद्धि दर और मृत्यु दर की चुनौती है, जबकि कंटेनमेंट जोन में परिधि नियंत्रण, बफर जोन की मैपिंग और घर-घर सर्विलांस के लिए अधिक प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता है। बड़े शहरों में स्थित अधिक जनसंख्या घनत्व वाले इलाके और झुग्गी बस्तियों में जोखिम अधिक है।

इंदौर और जयपुर में तेजी से घर-घर सर्वे और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। इसके अलावा इंदौर ने गलियों में पट्रोलिंग के लिए स्पेशल टीमें बनाई हैं। संभावित सुपरस्प्रेडर पर लगाम के लिए जयपुर में किराना और सब्जी विक्रेताओं की संख्या सीमित है। चूंकि, दुकानों और दूध की दुकानों पर हर दिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं, इसलिए म्यूनिसिपल वर्कर्स और पुलिसकर्मी इन जगहों की निगरानी करते हैं। वे नियमित तौर पर इन जगहों को सैनिटाइज करते हैं और लोगों से नियमों का पालन कराते हैं।

चेन्नई और बेंगलुरु में कोरोना केसों की संख्या काफी है, लेकिन दोनों शहर मृत्युदर को बेहद कम रखने में सफल रहे हैं। दोनों महानगरों में मृत्यु दर करीब 1 पर्सेंट है, जो राष्ट्रीय औसत 3 फीसदी से काफी कम है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों दक्षिणी राज्यों ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज को लेकर उदाहरण प्रस्तुत किया है। चेन्नई और बेंगलुरु ने बड़ी संख्या में रोगियों को संभालने के दौरान वेंटिलेटर का बेहतर इस्तेमाल किया है और रोगियों को इलाज की आवश्यकता के आधार पर प्राथमिकता श्रेणी में बेहतर तरीके से बांटा है।

एक अधिकारी ने कहा, ''हमने देखा है कि कुछ शहरों में वेंटिलेटर्स का इस्तेमाल बिना सोचे-समझे किया जा रहा है। लेकिन दक्षिणी राज्यों विशेषकर तमिलनाडु और कर्नाटक में मरीज प्रबंधन बहुत अच्छा है।''

हाल की बैठकों में बीएमसी (बृह्नमुंबई महानगरपालिका) की रणनीति की भी सराहना की गई। स्वास्थ्य ढांचे के इस्तेमला के लिए मुंबई में प्राइवेट हॉस्पिटलों का एक नेटवर्क तैयार किया गया है। शहर में विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों की संख्या दिखाने के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है। इसके लिए रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए एंबुलेंसों में जीपीसीएस लगाया जा रहा है।

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