पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए : प्रधानमंत्री
नईदिल्ली। माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि- माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति। अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परंपरा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। क्योंकि, हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। विश्व जल दिवस का स्मरण कराते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माघ महीने को जल से जोड़ने का एक और भी कारण है। इसके बाद से ही सर्दियां खत्म हो जाती हैं और गर्मियों की दस्तक होने लगती है। इसलिए पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए। कुछ दिनों बाद मार्च महीने में ही 22 तारीख को विश्व जल दिवस है।
'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अपनी बात रख रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल की यह 21वीं कड़ी है। हालांकि, वे अबतक इस कार्यक्रम के जरिए 74 बार देशवासियों को संबोधित कर चुके हैं।