मन की बात : जल से जुड़ा हर प्रयास, कल से जुड़ा है

मन की बात : जल से जुड़ा हर प्रयास, कल से जुड़ा है
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नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में जल के महत्व की चर्चा करते हुये कहा कि जल से जुड़ा हर प्रयास, हमारे कल से जुड़ा है। इस कार्य में पूरे समाज की जिम्मेदारी होती है। वे रविवार को मन की बात कार्यक्रम के 88वें एपिसोड में देशवासियों से अपनी बात साझा कर रहे थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'जल संरक्षण के लिये सदियों से अलग-अलग समाज लगातार अपने-अपने प्रयास करते आये हैं।' इस संदर्भ में उन्होंने कच्छ की 'मालधारी' जनजाति का जिक्र किया, जो जल संरक्षण के लिए वृदास नामक तरीका इस्तेमाल करती हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने जल के महत्व को बताते हुये संस्कृत के एक श्लोक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "पानियम् परमम् लोके, जीवानाम् जीवनम् समृतम् अर्थात संसार में जल ही हर जीव के जीवन का आधार है। जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है, इसलिए हमारे पूर्वजों ने भी जल संरक्षण पर इतना जोर दिया।

उन्होंने कहा कि वेदों से लेकर पुराणों तक हर जगह पानी बचाने, तालाब-सरोवर आदि बनवाने के कार्य को मनुष्य का सामाजिक और आध्यात्मिक कर्तव्य बताया गया है। वाल्मीकि रामायण में जल स्त्रोतों को जोड़ने और जल संरक्षण विशेष जोर दिया गया है।इतिहास की चर्चा करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास के छात्र जानते होंगे कि सिन्धु-सरस्वती और हडप्पा सभ्यता के दौरान भी भारत में पानी को लेकर कितनी विकसित तकनीक होती थी। प्राचीन काल में कई शहर में जल-स्त्रोत आपस में मिले होते थे।

जल के महत्व को बताते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय जनसंख्या उतनी नहीं थी, प्राकृतिक संसाधनों की क़िल्लत भी नहीं थी। एक प्रकार से विपुलता थी। फिर भी जल संरक्षण को लेकर जागरूकता बहुत ज्यादा थी। लेकिन, आज स्थिति इसके उलट है। मेरा आप सभी से आग्रह है कि अपने इलाके के ऐसे पुराने तालाबों, कुंओं और सरोवरों के बारे में जानें। अमृत सरोवर अभियान की वजह से जल संरक्षण के साथ-साथ आपके इलाके की पहचान भी बनेगी। आगे उन्होंने कहा कि आजादी के 75वें साल यानी अमृत महोत्सव में देश जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उनमें जल संरक्षण भी एक है। अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे।

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