श्रीमद्भगवद्गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा : प्रधानमंत्री
नईदिल्ली। हम सभी को श्रीमद्भागवत गीता के उस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए कि कैसे इस ग्रंथ ने आजादी की लड़ाई को ऊर्जा देने का कार्य किया और कैसे देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यह बातें श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों की पांडुलिपि के साथ 21 विद्वानों की व्याख्या ग्रन्थ का विमोचन करते हुए अपनी बात रख रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज हम श्रीमद्भागवतगीता की 20 व्याख्याओं को एक साथ लाने वाले 11 संस्करणों का लोकार्पण कर रहे हैं। मैं इस पुनीत कार्य के लिए प्रयास करने वाले सभी विद्वानों, इससे जुड़े हर व्यक्ति और उनके हर प्रयास को आदरपूर्वक नमन करता हूं।गीता के विभिन्न पक्षों पर शोध होना चाहिए। देश की युवा पीढ़ी का इस ग्रंथ से परिचय कराया जाना चाहिए। इसी संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि गीता ने निस्वार्थ सेवा सरीखे भारत के आदर्शों से दुनिया का परिचित कराया। अन्यथा भारत की निस्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती।
वैचारिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक -
आगे कहा किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक पर ये अलग-अलग व्याख्याएँ, इतने मनीषियों की अभिव्यक्ति, ये गीता की उस गहराई का प्रतीक है, जिस पर हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन दिया है। ये भारत की उस वैचारिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपने विचार रखने के लिए प्रेरित करती है। भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। गीता को रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में सामने रखा। स्वामी विवेकानंद के लिए गीता अटूट कर्मनिष्ठा और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है।
राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की प्रेरणा-
ने आगे कहा की गीता नेताजी सुभाषचंद्र बोस की राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की प्रेरणा रही है। ये गीता ही है जिसकी व्याख्या बाल गंगाधर तिलक ने की और आज़ादी की लड़ाई को नई ताकत दी।हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने हमारी आजादी की लड़ाई की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सभी पर हम शोध करें, लिखें और अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं।
पूरे विश्व के लिए -
तो एक ऐसा ग्रंथ है जो पूरे विश्व के लिए है, जीव मात्र के लिए है। दुनिया की कितनी ही भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया, कितने ही देशों में इस पर शोध किया जा रहा है, विश्व के कितने ही विद्वानों ने इसका सानिध्य लिया है।ये गीता ही है जिसने दुनिया को निश्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। नहीं तो भारत की निश्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती।