PMC Scam: खाताधारक समाजसेविका की मौत, आखिरी समय में लेनी पड़ी दूसरों की मदद
मुम्बई। एक ऐसी महिला जिसने जीवन के हर संघर्ष पर जीत हासिल की। जो हर गरीब, असाहय और बीमार की मददगार बनती रही। जिसने कई समाजिक आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। वहीं हिम्मतवान समाज सेवी पीएमसी बैंक स्कैम की शिकार हो जीवन के ऐसे दौर पर पहुंच जाती हैं कि जो खुद दूसरों को डोनेशन दिया करती थी फिर उसे ही दूसरों की डोनेशन पर अपना इलाज कराना पड़ा। सरकार और समाज की गैरजिम्मेदारी का खामियाजा एक परोकारी को झेलना पड़ा। पीएमसी बैंक स्कैम में इस महान समाजसेवी की जीवन भर की पूंजी फंस गयी और इस सदमें के कारण समाज ने इस परोपकारी आत्मा को हमेशा के लिए खो दिया।
नुपूर अलंकार की मां थी निशिचंद्रिका
टेलीवीजन की दुनिया की मशहूर अभिनेत्री नुपुर अलंकार ने 'स्वरागिनी', 'तंत्र', शक्तिमान, अगले जनम मोहे बिटियां ही की जो और घर की लक्ष्मी बेटियां आदि कई सीरियल्स में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है। वह एक कमाल की अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक जोशीली,परोपकारी, हिम्मती, संस्कारी और समाज में हर पल सक्रीय रहने वाली बेटी भी हैं। उनको यह सभी गुण अपनी माँ स्व. निशिचन्द्रिका से मिले हैं। मुम्बई गोरेगांव में रहने वाली निशिचंद्रिका ने पति के गुजर जाने के बाद बड़े जोश व हिम्मत के साथ जीवन के हर संघर्ष का सामना किया और अपनी दोनों बेटियों नुपुर व जिज्ञासा की ऐसी परवरिश की जिससे समाज को अच्छी बेटियां मिलीं। आर्थिक रूप से खुद को मजबूत करने के साथ ही वह समाज के हर कमजोर वर्ग के लिए सदैव मदद के लिए तैयार रहती थी। इसी लिए नुपुर की माँ होने के साथ ही वह एक समाजसेवी की पहचान भी रखती थी। अपनी समाज सेवा के चलते उन्होंने दिल की रोगी बच्ची को पेसमेकर लगवाया तो कान के रोगी बच्चे का इलाज करवाया। अन्ना हजारे के साथ आन्दोलन से लेकर दिल्ली निर्भया कांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए भी कई मोर्चे पर सक्रीय रही। निशिचंद्रिका का कहना था कि जो इंसान जरा भी सक्षम हो तो उसे समाज के गरीब और निर्बल लोगों की मदद जरूर करनी चाहिए क्योंकि समाज एक-दूसरे की मदद करने से ही चलता है। अपनी इसी सोच के कारण वह रोज किसी न किसी की छोटी-बड़ी मदद करती रहती थी। लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक दिन वह खुद दूसरों की मदद के सहारे हो जाएंगी।
घोटाले से अंदर तक हिल गई थीं निशिचंद्रिका
नुपुर की माँ निशिचंद्रिका जो एक जीवट और परोपकारी महिला थी उनको पंजाब और महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक स्कैम ने बुरी तरह अंदर तक हिला दिया था। बैंक स्कैम का सदमा उनको ऐसा लगा कि वह खुद को संभाल न सकी और बीमारियों से घिरनती चली गयीं। क्योंकि उनकी और नुपुर की जीवन भर की पूंजी पीएमसी बैंक में जमा थी और घोटाले के कारण आरबीआई ने सभी बैंक खातों पर रोक लगा दी थी। पीएमसी का यह मामला महिनों मीडिया पर भी चलता रहा। लोग बैंक खाते में जमा अपने पैसों के लिए सड़कों पर भी उतरे, लेकिन परिणाम कुछ न हुआ। बैंक स्कैम का यह सदमा जो बिल्कुल न सहन कर सके उन कई लोगों की जान भी चली गयी। वहीं नुपुर और उनकी माँ भी अपने दैनिक खर्चों के लिए दूसरों से मदद लेने के लिए विवश हो गए। पीएमसी कांड ने निशिचंद्रिका पर ऐसा बुरा असर डाला की वह दिन पर दिन बीमार होती चली गयीं। लेकिन इसे उनकी हिम्मत ही कहा जाएगा कि औरों की तरह मौत उन्हें छू न सकी थी।
दोस्तों से कर्ज लेकर चल रहा था जीवन
नुपुर के मुताबिक बैंक में पैसे फंस जाने के कारण दोस्तों से कर्ज लेकर जीवन चल रहा था वहीं माँ की तबितय भी दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी। जिसका इलाज करवा पाना मुश्किल होने लगा था। बीमारी इतनी बढ़ती जा रही थी खर्च लाखों तक पहुंच गया। माँ के इलाज के लिए मैंने एनजीओ से मदद मांगने के साथ ही और भी समाजसेवी संस्थाओं से सहायता की गुहार लगाने लगीं। तभी उनकी इस परेशानी का पता चलने पर मित्र रेणुका शाहणे ने अपने ट्विटर एकाउंट में उनकी कमदद करने की अपील की। इसका असर ये हुआ कि फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग मदद के लिए आगे आने लगे। जिनमें नीलू कोहली,राजेश्वरी सचदेव,दर्शन जरीवाला,मनोज जोशी,अयूब खान,अमित बहल,स्वयं रेनुका के अलावा सुपर स्टार अक्षय कुमार ने भी लाखों की मदद की। माँ की समाज सेवा ही थी कि उनके इलाज में बहुत सारे डाक्टर्स और वकीलों ने भी हर प्रकार से सहयोग किया। मेरी माँ एक स्वाभिमानी और संपन्न महिला थी जो सदैव दूसरों की मदद करती रही लेकिन घर के मंदिर की पूंजा नहीं करती थी। जब लोगों ने उनके बुरे दौर में अपनी मदद और दुआओं की वर्षा उन पर की तो उनके अंदर ईश्वर के प्रति श्रृद्धा जाग्रत हो गयी और जैसे ही वह ठीक होने लगीं उन्होंने मंदिर में पूजा-पाठ भी शुरू कर दिया। माँ का पूरी तरह से ठीक होना तो संभव नही था, फिर भी वे स्वस्थ दिखने लगी थी। लेकिन अब उनका शरीर थकने लगा था। वह चाहती थी कि बिस्तर से चिपकने की बजाय चलते -फिरते दुनिया से विदा लें। इसी लिए अपनी मृत्य से एक दिन पहले तक वह घर में चलती-फिरती रहीं और अपने अंतिम समय का आभास होने पर मुझसे कहा कि छोटी बहन जिज्ञासा को बुला लो। जीवन का अंतिम सप्ताह उन्होंने दोनों बेटियों और अपने नाती नातिन के साथ हंसते खेलते बिताया।
मौत का हो गया था अंदेशा
एक दिसंबर को उन्होंने हम दोनों बहनों को अपने पास बैठा कर कहा कि मैं अब थक चुकी हूं, इस शरीर में जान नही बची है,अब तुम दोनों ही आगे सब संभालो और पिछले 6 वर्षों से घर को पेंट कराने की इच्छा है मन में लेकिन बैंक स्कैम के कारण पूरी नहीं हो सकी तो इसे बाद में जरूर पेंट करा लेना। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो रिश्तेदार व मिलने वाले मेरे बुरे वक्त पर नहीं खड़े हुए उनको किसी को भी मेरी मौत की खबर देने की जरूरत नहीं। तुम दोनों बेटियों को ही अकेले मेरा अंतिम संस्कार करना है। अपने जन्मदिन से 6 दिन पहले 2 दिसंबर की रात उनको अचानक से तकलीफ बढ़ी लेकिन वह हॉस्पिटल में अंतिम सांस नहीं लेना चाहती थी। इस लिए उनको घर पर ही रखा और मेरी व जिज्ञासा की गोद में हरिओम बोल कर 68 वर्ष की आयु में माँ ने प्राण त्याग दिए। इसके बाद उनके मन मुताबिक हम दोनों बहनों ने ही अकेले उनका अंतिम संस्कार किया।
घोटाले ने समाजसेविका के जीवन को निगला
पीएमसी बैंक घोटाले ने निशिचंद्रिका जैसी समाज की अति जीवट और परोपकारी महिला की निगल लिया। इस घोटाले में लोगों की जीवन भर की कमाई चली गयी साथ ही बहुत लोगों की जानें भी गयी। वैसे तो लोग सौ वर्ष की आयु पूरी करते हैं लेकिन निशिचंद्रिका ने सौ वर्ष की आयु पूरी न करके पीएमसी स्कैम में मरने वाले खाता धारकों में 100वां अंक जरूर प्राप्त किया। निशिचंद्रिका ने जीवन की हर परिक्षा को अपने मजबूत इरादों से पास किया और मृत्यु को भी उन्होंने अपनी इच्छा के अनुसार अपने घर पर ही चुनी। ऐसी समाजसेवी-परोपकारी आत्माएं हमारे समाज की धरोहर हैं जिनका सम्मान हर समय होता रहना चाहिए।