राफेल और चीन के जे-20 की खूबियों में छिड़ी जंग
चीन ने राफेल को तीसरी पीढ़ी का और अपने जे-20 फाइटर जेट को बताया बहुत सुपीरियर
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना में शामिल होते ही लड़ाकू विमान राफेल से खौफजदा हुए पाकिस्तान ने विश्व समुदाय से गुहार लगा डाली कि भारत इससे अपनी न्यूक्लियर ताकत में इज़ाफा कर सकता है तो अब चीन फ्रांस में ही बने अपने फाइटर जेट जे-20 के मुकाबले राफेल को कमतर बताने में लग गया है। दूसरी तरफ भारत के पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने राफेल को चीन के जे-20 से ज्यादा अच्छा फाइटर जेट बताया है।
दरअसल भारत के पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने 4.5 जेनरेशन के राफेल को 'गेमचेंजर' करार देते हुए कहा था कि चीन का फाइटर जेट जे-20 इसके आस-पास भी नहीं टिकता है। राफेल 4.5 जेनरेशन का ट्विन इंजन, कनाडा डेल्टा विंग, मल्टी रोल फाइटर है. जबकि, जे-20 सिंगल सीट, ट्विन जेट, हर मौसम में उड़ने वाला, स्टेल्थ, पांचवीं जेनरेशन का फाइटर जेट है। राफेल की सर्विस सीलिंग 15,235 मीटर है जबकि जे-20 की 20 हजार मीटर है। राफेल की अधिकतम गति 2130 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि जे-20 जेट की रफ़्तार 2223 किलोमीटर प्रति घंटा है। राफेल आकार में जे-20 से छोटा है। जे-20 की लंबाई 20.4 मीटर है जबकि राफेल की लम्बाई 15.27 मीटर है। जे-20 की चौड़ाई 13.5 मीटर और राफेल की 10.80 मीटर है। जे-20 की ऊंचाई 4.45 मीटर है जबकि राफेल 5.34 मीटर ऊंचा है। राफेल का आकर उसे आसमान में क्लोज कॉम्बैट में मदद करता है जबकि जे-20 का आकार इसे क्लोज कॉम्बैट में थोड़ा मुश्किल पैदा करता है। राफेल में स्कैल्प ईजी स्टॉर्म शैडो, एएएसएम, एटी 730 ट्रिपल इजेक्टर रैक, डैमोक्लेस पॉड, हैमर मिसाइल लगा सकते हैं जबकि जे-20 में एएएम, शॉर्ट रेंज एएएम, इंटर्नल ऑटोकैनन और रोटरी कैनन मशीन गन लगी है।
धनोआ ने दूसरा सवाल किया कि अगर जे-20 वाकई पांचवी पीढ़ी के फाइटर है तो फिर इसे सुपरक्रूज क्यों नहीं कर सकते हैं। सुपरक्रूज वो क्षमता है जिसमें किसी फाइटर जेट को 1 मैक (ध्वनि की गति) की रफ्तार से बिना आफ्टरबर्नर्स के उड़ाया जा सकता है। धनोआ ने कहा कि राफेल में सुपरक्रूजबिलिटी है और दुनिया के बेहतरीन फाइटर जेट से इसके रडार सिग्नेचर की तुलना की जा सकती है। धनोआ ने चीन के रक्षा उपकरणों की क्षमता पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि चीन का आयरन ब्रदर (पाकिस्तान) उत्तर में स्वीडिश एयर वार्निंग का इस्तेमाल क्यों करता है जबकि चीनी अवाक्स को दक्षिण में रखता है।
राफेल की इन्हीं खूबियों को गिनाने पर चीन को मिर्ची लगी और उसने राफेल की कमियां निकालना शुरू कर दिया। इसके बाद धनोआ ने दो सवालों के साथ चीनी दावे का जवाब दिया है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे नहीं लगता कि जे-20 इतना ट्रिकी है कि उसे पांचवे जेनरेशन का फाइटर कहा जाए। राफेल में कनार्ड लगी होने से इसका रडार सिग्नेचर बढ़ जाता है जिससे ये लॉन्ग-रेंज मिटयोर मिसाइल की पकड़ में आ जाता है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीनी एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा है कि राफेल तीसरी पीढ़ी का फाइटर जेट है जो चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट जे-20 के आगे कहीं नहीं टिकता। चीन के सैन्य विशेषज्ञ ने राफेल को सुखोई-30 एमकेआई से तो बेहतर बताया है लेकिन राफेल की गुणवत्ता में बहुत बदलाव नहीं हुआ है।
चीन के सैन्य विशेषज्ञ ने कहा कि रडार, आधुनिक हथियार और सीमित तकनीक होने की वजह से तीसरी पीढ़ी के राफेल की तुलना अन्य फाइटर जेट से की जा सकती है लेकिन चौथी पीढ़ी के जे-20 जैसे अधिक क्षमता वाले लड़ाकू विमान का मुकाबला करना इसके लिए बेहद मुश्किल है। चीनी एक्सपर्ट ने लिखा, "ये बात सबको मालूम है कि फाइटर जेट में पीढ़ी का फर्क बहुत बड़ा फर्क होता है और इसकी भरपाई किसी रणनीति या संख्या बढ़ाकर नहीं की जा सकती है। चीन का जे-20 फाइटर जेट राफेल से बहुत सुपीरियर है।"