रघुवंश प्रसाद का इस्तीफा राजद के पतन का संकेत

रघुवंश प्रसाद का इस्तीफा राजद के पतन का संकेत
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नई दिल्ली। राजद उपाध्यक्ष पद से रघुवंश प्रसाद का इस्तीफा लालू यादव की विरासत के पतन का कारण ना बन जाय। यह ब"ावत की ऐसी शुरूआत हैं, जिसे थामने के लिए लालू यादव को भी काफी मशक्कत करनी पड़े, क्योंकि तेजस्वी यादव के मनमाने फैसले के खिलाफ रघुवंश प्रसाद पहले भी खफा होचुके हैं और तब लालू की मानमनोवव्ल से मामला सुलझ "या था, लेकिन इस बार तेजस्वी ने रघुवंश प्रसाद को ही चुनौती दे दी है, ऐसे में ने रघुवंश के "ुस्से का जो बांध टूटा है, वह राजद की बहुत बड़ी राजनीतिक जमीन को उजाड़ सकता है।

बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल नई बात नहीं है। वहां चुनाव से पहले बड़़ी तादात में दलबदल की परम्परा रही है। परन्तु मं"लवार को जो घटित हुआ उसे बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत माना जा रहा है। राजद उपाध्यक्ष पद से रघुवंश प्रसाद का इस्तीफा लालू यादव की विरासत के लिए बड़ा झटका है। लालू की पार्टी में रघुवंश प्रसाद एकमात्र सवर्ण चेहरा हैं। एमवाई(मुस्लिम-यादव) "ठजोड़ में रघुवंश के कारण क्षत्रिय समाज भी राजद में वोट की हिस्सेदारी निभाता है। तेजस्वी का ताजा फैसला उसी समीकरण को पलीता ल"ाने वाला साबित हो सकता है। दरअसल, रघुवंश प्रसाद का मन पार्टी में तब से नहीं ल" रहा जब लालू यादव द्वारा पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को दरकिनार कर तेजस्वनी यादव को राजद की बा"डोर सौपी "ई।, रघुवंश प्रसाद की तरफ से तब इस पर आपत्ति जताई "ई थी और परिवारवाद से बाहर आकर लालू को सोचने की सलाह दी "ई थी, लेकिन तब लालू के मनाने पर रघुवंश प्रसाद मन मारकर मान "ए थे। हालांकि तेजस्वी यादव द्वारा पार्टी में जिस तरह के फैसले लिए जा रहे थे, उससे रघुवंश प्रसाद काफी आहत थे, लेकिरन लालू यादव के कारण मौन साधकर पार्टी में बने हुए थे। तेजस्वी द्वारा अब ऐसा निर्णय लिया "या है, जो सीधेतौर पर रघुवंश प्रसाद के लिए ही चुनौती है। तेजस्वी यादव ने वैशाली लोकसभा सीट में रघुवंश प्रसाद के प्रतिद्वंदी रामा सिंह को राजद में लाने का मन बना लिया है। यह बात जैसे रघुवंश प्रसाद को ल"ी, उनकी तरफ से आपत्ति जताई "ई, लेकिन सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी ने साफ संदेश दे दिया है कि वह अपना फैसला नहीं बदलें"े। यह जानकारी मिलते ही रघुवंश प्रसाद ने पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर तेजस्वी और लालू यादव को साफ कर दिया है कि यदि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी को पार्टी में लाया "या तो वह राजद से नाता तोड़ लें"े।

रघुवंश प्रसाद यदि राजद छोड़ते हैं तो आने वाले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। रघुवंश प्रसाद के पार्टी छोडऩे से राजद से वह नेता भी बाहर हो सकते हैं जो तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार नहीं होने के बाद भी रघुवंश प्रसाद के कारण राजद में हैं। इसके अलावा राजद को सवर्ण वोट का भी नुकसान हो"ा,क्योंकि राजद को जो सवर्ण वोट मिल रहे हैं, उसमें बहुत बड़ा यो"दान रघुवंश प्रसाद का है। रघुवंश प्रसाद किस दल में जाएं"े, इससे 'यादा महत्वपूर्ण ये है कि राजद के खिलाफ किस तरह का कदम उठाएं"ें। क्योंकि राजद के "ठन से लेकर अभी तक के सफर में लालू के साथ कदमताल मिलाकर चलने वाले एकमात्र नेता रघुवंश प्रसाद हैं। वह राजद का सवर्ण चेहरा और विश्वास दोनों हैं। हालांकि तेजस्वी ऐसा पहली बार नहीं कर रहे,बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव के समय उनकी तरफ से रामा सिंह को राजद में लाने की कोशिश की "ई थी। रामा सिंह को लोजपा ने टिकट नहीं दिया तो वह तेजस्वी से मिले थे और पार्टी में आने वाले थे कि रघुवंश प्रसाद के कारण उनका आना रूक "या था। सूत्र बताते हैं कि तब लालू यादव की तरफ से हस्तक्षेप किए जाने पर रामा नहीं आ पाए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी द्वारा रामा को लाने की पहल जता रही है कि अब लालू यादव भी कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं। लिहाजा, तेजस्वी यादव और रघुवंश प्रसाद के बीच का विवाद यदि आ"े बढ़ा तो राजद को बड़ी ब"ावत का सामना करना पड़ सकता है और इससे तेजस्वी यादव की जद (यू)-भाजपा "ठजोड़ को सत्ता से हटाने के मंसूबे पर पानी फिर जाए।

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