राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री से नहीं मिलाया हाथ, LAC के मुद्दे पर दिया दो टूक जवाब
नईदिल्ली/वेब डेस्क। गलवान घाटी में बीते वर्ष हुई हिंसा के बाद अब भी भारत और चीन के रिश्तों में तल्खी बनी हुई है। इसका अंदाजा हाल ही में हुई एक बैठक में भरत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के तेवर से लगाया जा सकता है। राजनाथ सिंह ने बैठक में अपने समक्ष चीन के रक्षामंत्री से हाथ नहीं मिलाया। हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए।
दरअसल, नियमानुसार जब दो देशों के समकक्षों के बीच किसी भी बैठक से पहले हाथ मिलाते हुए फोटो खिंचवाने की परंपरा है, जिसे हैंड शेकिंग कहा जाता है। गुरूवार को हुई ऐसी ही एक द्विपक्षीय बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पहले ताजिक, ईरानी और कज़ाख समकक्षों के साथ हाथ मिलाया। लेकिन जब चीन का नंबर आया तो उन्होंने हाथ जोड़ लिए और बिना हाथ मिलाए आगे बढ़ गए। से राजनाथ के हैंड शेकिंग न करने को चीन के साथ तीन साल से चल रहे गतिरोध के मद्देनजर तल्खी के रूप में देखा जा रहा है।हालाँकि इसके बाद चीन के रक्षा मंत्री ली ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगाढ़ता पर जोर दिया।
चीन ने द्विपक्षीय संबंधों पर दिया जोर -
चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों और एक दूसरे के विकास को एक व्यापक, दीर्घकालिक और सामरिक दृष्टिकोण से देखकर संयुक्त रूप से विश्व और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थिति में रखना चाहिए और सामान्य प्रबंधन के लिए सीमा की स्थिति के संक्रमण को बढ़ावा देना चाहिए। ली ने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में उचित योगदान देने के लिए मिलकर काम करेंगे।
राजनाथ ने सुनाई दो टूक -
द्विपक्षीय बैठक में राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर शांति के प्रसार पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार हल करने की आवश्यकता है। सिंह ने दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को नष्ट कर दिया है और सीमा पर पीछे हटने का तार्किक रूप से डी-एस्केलेशन के साथ पालन किया जाएगा। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि भारत अपने प्रमुख पड़ोसी देशों के साथ मतभेदों की तुलना में कहीं अधिक हित साझा करता है।