चीन को मुंहतोड़ जवाब देने वाले सैनिकों से मिलने का राजनाथ ने किया वीडियो ट्वीट

चीन को मुंहतोड़ जवाब देने वाले सैनिकों से मिलने का राजनाथ ने किया वीडियो ट्वीट
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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर और लद्दाख में स्थिति की समीक्षा करने गए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने दो दिवसीय दौरे में उन 16 बिहार रेजिमेंट के सैनिकों से मिले जिन्होंने गलवान हिंसा के दौरान चीनी सैनिकों का मुहतोड़ जवाब दिया था।

रविवार को रक्षामंत्री के ऑफिस की तरफ से ट्वीट किए गए वीडियो में यह देखा जा रहा है कि लद्दाख के पैंगोंग त्सो के पास लुकुंग बेस कैम्प में राजनाथ सैनिकों के साथ मिल रहे हैं। विपरीत परिस्थिति में उन सभी की बहादुरी के लिए तारीफ करते हुए वे बटालियन ऑफिसर्स और अन्य लोगों के साथ हाथ मिलाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

15 जून के गलवान हिंसा के दौरान वो बिहार रेजिमेंट के सैनिक ही थे जिनका चीनी सैनिकों के साथ सामना हुआ था। 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर संतोष बाबू पर हमले के बाद यह खूनी संघर्ष का रुप ले लिया था। गलवान सेक्टर में अब दोनों पक्ष तनाव कम करने में लगे हुए हैं। 16 बिहार रेजिमेंट के जवाब और पीएलए यूनिट को सिचुआल में जहां पर 15 जून को हिंसा हुई थी, वहां से पीछे कर दिया गया है, ताकि फिर से वैसी ही हिंसा न भड़क उठे।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच मई की शुरुआत से ही तनातनी चल रही है। दोनों देशों की तरफ से सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बैठकों का दौर जारी है। 6 जून को ऐसी ही एक बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया कि चीन अपने सैनिकों को लेकर श्योक जंक्शन और गलवान नदी के पास चला जाएगा। नियमित पेट्रोलिंग के दौरान जब 15 जून को भारतीय सैनिकों ने देखा कि उस वक्त चीनी सैनिकों के टैंट लगे हुए थे।

चीन के ऑब्जर्वेशन पोस्ट पर मौजूद 10-12 सैनिकों को भारतीय गश्ती दल की तरफ से कहा गया कि वे वापस चले जाएं। चीन की तरफ से वापस जाने से मना कर दिया गया। जिसके बाद भारत के गश्त दल ने इस बारे में अपनी यूनिट में वापस आकर बताया।उसके बाद 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर संतोष बाबू के नेतृत्व में 50 भारतीय सैनिक चीन से यह कहने गए कि वे भारतीय धरती को छोड़कर अपनी जमीन में चले जाएं।

ठीक उसी वक्त जैसे ही पहले गश्ती दल उस जगह से लौटते चीन के करीब 300 से 350 सैनिकों ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इस हिंसा में 20 भारतीय जवान शहीद हुए हालांकि चीन ने इस घटना में मारे गए अपने सैनिकों का आंकड़ा कभी नहीं बताया।


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