प्रमोशन में आरक्षण मुद्दे पर SC में हुई सुनवाई, राज्यों से मांगी कानूनी अड़चनों की जानकारी
नईदिल्ली। प्रदेश में सरकारी पदों पर पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने करीब एक घंटे की सुनवाई के बाद पूर्व की व्यवस्था को यथावत रखने का आदेश देते हुए मामले में आगामी पांच अक्टूबर से नियमित सुनवाई की बात कही है। इस वक्त में राज्यों को अपनी तरफ से उन बातों की लिस्ट तैयार करने को कहा है जिनको लेकर कानूनी अड़चनें आ रही हैं।
दरअसल, हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम में आरक्षण, बैकलॉग के खाली पदों को कैरिफारवर्ड करने और रोस्टर संबंधी प्रावधान को संविधान के विरुद्ध माना था और इसीलिए ही यह रोक उसके द्वारा लगाई गई थी। न्यायालय की ओर से कहा गया था कि यह नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 व 335 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को दिए गए दिशा-निर्देश के खिलाफ है।
24 याचिकाएं दायर -
अपना पक्ष रखते हुए अनारक्षित वर्ग की ओर से यह भी कहा गया था कि अनुसूचित जाति-जनजाति को दिए जा रहे आरक्षण की वजह से उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में 2011 में 24 याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें सरकार द्वारा बनाए मप्र पब्लिक सर्विसेज (प्रमोशन) रूल्स 2002 में एससी-एसटी को दिए गए आरक्षण को चुनौती दी गई थी। उसके बाद इस निर्णय के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
राज्यों ने अपना पक्ष रखा -
विशेष अधिवक्ता मनोज गोरकेला ने प्रदेश सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि लगभग एक घंटे सुनवाई चली। सभी राज्यों ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा कि पांच अक्टूबर से इस मामले की नियमित सुनवाई की जाएगी। तीन न्यायाधीशों की पीठ मामला सुनेगी। राज्यों को इस मामले में अब जो कुछ भी कहना है, तो वह लिखित में देना होगा। इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के मामले के कारण बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नत हुए ही सेवानिवृत्त हो गए। अब इस मामले में अंतिम निर्णय सुनाया जाएगा। जब तक अंतिम फैसला नहीं हो जाता है, तब तक यथास्थिति बरकरार रहेगी।
मंत्री समूह का गठन -
इधर, आरक्षण को लेकर सक्रिय शिवराज सरकार ने सोमवार को ही शासकीय सेवकों को उनके सेवाकाल में पात्रतानुसार पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराने के संबंध में भविष्य की रणनीति के निर्धारण के लिये मंत्री समूह का गठन किया है। इस मंत्री समूह में गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि एवं विधायी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री तुलसीराम सिलावट, वन मंत्री विजय शाह, सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री अरविंद भदौरिया और राज्य मंत्री सामान्य प्रशासन, स्कूल शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार रहेंगे। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन मंत्री समूह के समन्वयक बनाए गए हैं।