निष्काम कर्मयोगी वरिष्ठ स्वयंसेवक मा. गो. वैद्य का निधन
File Photo : राजमाता विजयाराजे सिंधिया राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान वर्ष 2009 में स्वदेश द्वारा श्री मा.गो. वैद्य जी को सम्मानित किया गया था।
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के विचारक, प्रथम अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री माधव गोविन्द (मा. गो.) वैद्य जी का आज निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे। उनका 97वां जन्मदिन प. पू. सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में नागपुर में मनाया गया था। एमजी पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनका नागपुर के स्पंदन अस्पताल में इलाज चल रहा था।
जानकारी के अनुसार उन्होंने स्पंदन अस्पताल में आज दोपहर 3: 35 बजे अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा। एमजी वैद्य के निधन पर समाज में शोक की लहर दौड़ गई। लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
प. पू. सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी एवं सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्या) जोशी जी ने शोक संदेश में कहा की -
"श्रीमान माधव गोविंद उपाख्य बाबूरावजी वैद्य के शरीर छोड़ने से हम सब संघ के कार्यकर्ताओं ने अपना एक वरिष्ठ छायाछत्र खो दिया है. संस्कृत के प्रगाढ़ विद्वान, उत्तम पत्रकार, विधान परिषद के सक्रिय सदस्य, उत्कृष्ट साहित्यिक, ऐसी सारी बहुमुखी प्रतिभा के धनी, बाबूराव जी ने यह सारी गुणसंपदा संघ में समर्पित कर रखी थी. वे संघ कार्य विकास के सक्रीय साक्षी रहे. उनका जीवन व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक तथा आजीविका इन चतुर्विध आयामों में संघ संस्कारों की अभिव्यक्ति करने वाला संघानुलक्षी, संपन्न व सुंदर गृहस्थ जीवन था. सरल भाषा में तर्कशुद्ध रीति से व अनुभूतिमूलक विवेचन से संघ को अपनी वाणी और लेखनी द्वारा वे जगत में सर्वत्र प्रस्तुत करते रहे. फलस्वरूप उनकी अगली पीढ़ी भी इसी प्रकार से जीवन जीते हुए देश हित के लिए कार्यरत है तथा उनके दो सुपुत्र श्री मनमोहन जी व श्री राम जी संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं.
ऐसे उदाहरणस्वरूप वरिष्ठ जीवन का चर्मचक्षुओं से ओझल होना पीछे एक रिक्तता छोड़ जाता ही है. श्री वैद्य जी का पूरा परिवार आज एक विस्तृत छत्रछाया का अभाव अनुभव कर रहा है. हम सबका तथा उनका सांत्वन करना कठिन है. समय ही उसका उपाय है. बाबूराव जी का जीवन हम सबको हर अवस्था में अपने कर्तव्य पालन का कार्य अविचल और अडिग रीति से करना सिखा रहा है. उनके जीवन की इस सीख को आचरण में लाते हुए इस दुर्धर प्रसंग का सामना करने का धैर्य हम सबको तथा वैद्य परिवार को प्राप्त हो व दिवंगत जीव को उनके जीवन तपस्या के अधिकारानुरुप शांति व उत्तम गति मिले, यही प्रार्थना।"