ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रकरणों पर लगाई रोक
नईदिल्ली। पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका में भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया की सरकार द्वारा उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यह याचिका भाजपा महासचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय सांसद अर्जुन सिंह सहित पांच नेताओं ने दायर की है। उन्होंने मांग की है की बंगाल में चल रहे प्रकरणों को रद्द किया जाए या अन्य राज्य में स्थानन्तरित किये जाए।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने आदेश दिया कि जनवरी 2021 में सुनवाई की अगली तारीख तक मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने सीआईएसएफ द्वारा की रिपोर्ट को भीअगली तारिख पर न्यायलय में पेश करने का आदेश दिया।
भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने दावा किया की जब से उन्होंने टीएमसी छोड़ी है, उन पर 64 मामले दर्ज किए गए हैं।सुनवाई के दौरान पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अर्जुन सिंह की ओर से पेश होकर उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने के लिए अदालत से गुहार लगाई। उन्होंने दावा किया की पश्चिम बंगाल पुलिस ने अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों को देखते हुए भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्जनों "झूठी एफआईआर" दर्ज की हैं। उन्होंने मामलों की जाँच को बंगाल पुलिस की जगह अन्य एजेंसी से कराये जाने की मांग की।
कोर्ट ने रोहतगी से पूछा की आप कहते हैं कि 64 मामले दायर किए गए हैं। उन्हें दायर किए जाने की समय अवधि क्या है?" रोहतगी ने जवाब दिया कि सभी मामले 2019 के हैं। "टीएमसी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने के बाद कई मामले दर्ज किए गए हैं।
संकट में ममता सरकार -
पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ममता सरकार पर राजनीतिक संकट बढ़ने लगा है।उनकी पार्टी के तीन विधायक शुभेंदु अधिकारी और जितेंद्र तिवारी के बाद आज शीलभद्र ने इस्तीफा दिया। सभी के जल्द भाजपा में शामिल होने की अटकले लगाईं जा रही है।