उच्चत्तम न्यायालय ने दुष्कर्मी की फांसी को 25 साल की सजा में बदला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दो वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले के 50 वर्षीय दोषी की फांसी की सजा को 25 साल की सजा में बदल दिया है। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोषी को पच्चीस साल कैद की सजा सुनाई है।
घटना 2013 की महाराष्ट्र के यवतमाल की है। यवतमाल के ट्रायल कोर्ट ने आरोपित शत्रुघ्न बबन मेश्राम को बच्ची की हत्या और दुष्कर्म का दोषी पाया था और फांसी की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी ने बांबे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई थी। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
दोषी मासूम बच्ची के दादा का भाई था। वह बच्ची को उसके दादा की गोद से यह कहकर ले गया था कि बच्ची के पिता उसे मांग रहे हैं। बच्ची के पिता जब घर लौटे तो उन्होंने देखा कि बच्ची घर में नहीं है। पूछताछ पर पता चला कि बच्ची को उसके दादा की गोद से दोषी ले गया था। बहुत तलाश के बाद बच्ची अर्धनिर्मित मकान में मिली। उस स्थान पर दोषी भी था। बच्ची के शरीर और प्राइवेट पार्ट पर जख्म के निशान देखे गए। उसके बाद बच्ची को डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दुष्कर्म, हत्या और पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोषी पाया था।