आपातकाल लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात : राम माधव

आपातकाल लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात : राम माधव
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव ने आपातकाल को लोकतंत्र पर सबसे बड़ा अघात बताया है। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लगा आपातकाल लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात था। आपातकाल के खिलाफ संघर्ष ने नई पीढ़ी के नेताओं और देश में नई तरह की राजनीति को जन्म दिया।

राम माधव मंगलवार को 'आपातकाल पर युवा जनसंवाद' विषय पर वर्चुअल रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपातकाल की यादों की चर्चा करते रहना जरूरी है ताकि देश के लोकतांत्रिक ढांचे और मूल्यों को और मजबूत बनाने के लिए इससे सबक लिया जा सके। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की तानाशाही आपातकाल में किस हद तक बढ़ गई थी इसका एक छोटा का उदाहरण है कि कांग्रेस के निजी कार्यक्रम में सम्मिलित होने में असमर्थता जताने पर लोकप्रिय गायक किशोर कुमार के गाने आकाशवाणी और दूरदर्शन पर सुनाने पर पाबंदी लगा दी गई थी। आपातकाल में समाचार पत्रों की स्वतंत्रता पूरी तरह समाप्त की गई और विपक्षी राजनीतिक गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया।

भाजपा महामंत्री राम माधव ने कहा कि आपातकाल के दौरान बहुत बड़ा आन्दोलन लड़ा गया था। लोगों ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ सत्याग्रह किया लेकिन इंदिरा सरकार ने डीआईआर और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) लगाकर लोगों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार विरोधी आंदोलनों एवं न्यायपालिका के स्वतंत्र निर्णयों से हताश कांग्रेस सरकार ने आपातकाल का उपयोग शासन को बचाये रखने के लिए किया।

इस अवसर पर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग कर कांग्रेस ने देश के लोगों पर अत्याचार किया। देश में आपतकाल के दौरान कई परिवारों ने वो दर्द झेला है जिसे बंया करना बहुत मुश्किल है। आने वाली पीढ़ियों को हम सभी को इसी त्याग व तपस्या के बारे में बताना है। इस काले अध्याय के बारे में युवा पीढ़ी को विस्तार से पता होना चाहिए। उस समय कितने सेनानियों ने कितनी प्रताड़ना सहीं, यातनाएं सहीं, अपने घर परिवारों को छोड़ा उन सबका पता होना चाहिए।

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