कोरोना ने किया निर्यात पर असर, बाजार में सुस्ती
कोलकाता। कोरोना महामारी के चलते भारत से विदेशी बाजारों में निर्यात पर भारी असर पड़ा है। न केवल उत्पादन बल्कि मांग में भी सुस्ती है जो अगली कुछ तिमाही तक कायम रहने के अनुमान हैं। बैंकरों ने कहा कि यह व्यवधान छह से आठ महीने तक जारी रहने वाला है, जब तक कि उत्पादन सामान्य ना हो जाए।
आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2017, 2018 और 2019 में भारतीय वस्तुओं का निर्यात तेज था। सेवाओं का निर्यात और भी बेहतर था। यह ऐसा समय था जब भारतीय रुपया काफी नीचे आ गया था। मार्च 2020 में निर्यातकों द्वारा अंतिम समय पर इनवॉयस तैयार करने के कारण निर्यात वृद्धि गिर गयी थी और फिर इसके तुरंत बाद ही लॉकडाउन लग गया। भारत उपभोग संचालित अर्थव्यवस्था है, जहां 55 फीसदी व्यय आवश्यक वस्तुओं पर किया जाता है और शेष व्यय शौकिया होते हैं।
वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में पर्याप्त नुकसान उठाना पड़ा और 40-50 फीसदी माल नहीं भेजे जा सके। विदेशी मांग में कमी के बीच यह व्यवधान छह से आठ महीने तक रहेगा। एसबीआई (आईबीजी) के उपाध्यक्ष सी वेंकट नागेश्वर ने कहा कि दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंक अपनी अर्थव्यवस्थाओं को अच्छी स्थिति में लाने के लिये अभूतपूर्व कदम उठा रहे हैं।
खास बात यह है कि महामारी की वजह से सड़क परिवहन पर लगी पाबंदियों के कारण दुनिया भर के विभिन्न सीमावर्ती देशों में भी निर्यात नहीं हो रहा। हवाई यातायात और समुद्री परिवहन पर भी रोक लगी है जिसके कारण भी ये सेवाएं प्रभावित हुई हैं।आगरा। संस्कृत मंत्रालय के निर्देश के बाद सोमवार (आज) से ताजमहल सहित शहर के अन्य स्मारक खोले जाने थे। लेकिन जिला प्रशासन ने कोविड-19 के संक्रमण के कारण जनहित में इन्हें न खोलने का फैसला लिया है। इससे पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों की आस टूट गई है और उनके चेहरे पर मायूसी छा गई, हालांकि उन्होंने जनहित में लिए गए प्रशासन के फैसले का समर्थन किया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय संस्कृत मंत्री प्रह्लाद पटेल ने दो जुलाई को ट्वीट में लिखा था कि छह जुलाई में ताजमहल सहित देशभर के सभी स्मारक खोले जा सकते हैं। इससे पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों में उम्मीद जगी थी। ताजमहल के खुलने की खुशी में होटल रेस्टोरेंट संचालकों, गाइड, फोटोग्राफर व दुकानदार सभी तैयारियों में लग गए थे। दुकानें चमचमाने लगी थी, होटल रेस्टोरेंट में साफ सफाई की कर ली गई थी। यही नहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पर्यटकों के कोविड-19 से बचाव के लिए पूरी तैयारियां कर ली थी। प्रवेश द्वारों पर सोशल डिस्टेंशन के पालन के लिए गोले, थर्मल स्क्रीनिंग व उनके नाम पते दर्ज करने की व्यवस्था की थी। लेकिन रविवार देर रात आए प्रशासन के आदेश ने सबकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने रविवार रात कोविड टीम और एएसआई के अधिकारियों के साथ बैठक की। उसमें ताजमहल सहित अन्य स्मारकों के बफर जोन में होने के कारण जनहित में न खोलने का फैसला लिया। इस फैसले के बाद पर्यटन कारोबार से जुड़े लगभग चार लोग रोजगार को लेकर संकट में है। उनकी रोजी-रोटी सीधे तौर पर पर्यटन से ही चलती है।
ताज दक्षिणी गेट पर हैंडीक्राफ्ट, मार्बल की दुकान करने वाले बॉबी का कहना है कि ताजमहल के खुलने की खबर से हम बहुत खुश थे। दुकान को हमने साफ-सफाई कर चमका दिया था। उम्मीद थी लॉकडाउन के दौरान जो आर्थिक संकट पैदा हुआ है, वह दूर होगा। लेकिन प्रशासन के फैसले ने हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। फोटोग्राफर मोहम्मद मुस्ताक का कहना है कि प्रशासन ने सोच समझकर ही ताज न खोलने का लिया होगा। लेकिन यह भी सच है कि हमारी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। प्रशासन को इस बारे में भी कुछ सोचना चाहिेए।
रेस्टोरेंट्स संचालक मनप्रीत सिंह ने कहा कि ताजमहल के आसपास के रेस्टोरेंटओं का संचालन केवल पर्यटकों के आने पर निर्भर है। जो ताजमहल के बंद रहने से लगभग ठप हो गया है। प्रशासन को अपना मेडिकल सिस्टम सुधारना चाहिए, ना कारोबार पर प्रहार करना चाहिए। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश वाधवा ने कहां के ताजमहल के न खुलने से लोगों मायूसी है। लेकिन हमें कुछ दिन और इंतजार चाहिए। यह सही है कि इसके बंद रहने से पर्यटन कारोबारियों पर बड़ा आर्थिक बोझ आ गया है। लेकिन कोविड-19 का संक्रमण अभी कम नहीं हुआ है।