कोरोना संकट : पेट्रोल-डीजल की खपत में पिछले 10 साल की सबसे बड़ी गिरावट
नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन की वजह से मार्च में भारत की ईंधन की खपत 18 प्रतिशत कम हो गई। यह एक दशक से अधिक समय में सबसे बड़ी गिरावट है। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां और आवाजाही ठप है। गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत के पेट्रोलियम उत्पाद की खपत मार्च में 17.79 प्रतिशत घटकर 16.08 मिलियन टन रह गई, क्योंकि इस दौरान डीजल, पेट्रोल और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की मांग गिर गई।
बता दें देश में सबसे अधिक खपत वाले डीजल में 24.23 प्रतिशत की मांग के साथ 5.65 मिलियन टन की कमी देखी गई। देश में डीजल की खपत में यह सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है क्योंकि अधिकांश ट्रक अब सड़क पर नहीं चल रहे और ट्रेनों के पहिए भी थमे हैं। कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के रूप में पेट्रोल की बिक्री 16.37 प्रतिशत घटकर 2.15 मिलियन टन रह गई।
इस दौरान सिर्फ रसोई गैस की मांग में तेजी देखने को मिली। बीपीसीएल और एचपीसीएल ने कहा है कि उनकी लॉकडाउन के दौरान उनकी डीजल और पेट्रोल की बिक्री में 55 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। एचपीसीएल के चेयरमैन मुकेश कुमार सुराना ने पीटीआई-भाषा को बताया कि रिफाइनरी उत्पादन करीब 70 प्रतिशत तक आ गया है।
बीपीसीएल के रिफाइनरी निदेशक आर रामचंद्रन ने कहा कि रिफाइनरी क्षमता के मुकाबले 70 प्रतिशत से कम पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, ''हमारी डीजल और पेट्रोल की बिक्री 60 प्रतिशत से अधिक घट गई है और विमानन ईंधन की लगभग कोई मांग ही नहीं बची है क्योंकि सिर्फ कुछ मालवाहक विमान ही उड़ान भर रहे हैं। इन कंपनियों को मांग में कमी के चलते इंवेन्ट्री हानि होने की आशंका है। रामचंद्रन ने कहा, ''मार्च, अप्रैल में घाटा निश्चित है और अगर लॉकडाउन आगे बढ़ा तो घाटा भी बढ़ेगा। एचपीसीएल के चेयरमैन ने लॉकडाउन आगे बढ़ाने की स्थिति में ईंधन का निर्यात करके नुकसान की भरपाई का भरोसा जताया।