देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 15 साल की सबसे बड़ी गिरावट, मई में रिकॉर्ड स्तर पर हुई छंटनी

देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 15 साल की सबसे बड़ी गिरावट, मई में रिकॉर्ड स्तर पर हुई छंटनी
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दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की भारी मार देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ी है। इस साल अप्रैल की तुलना में मई में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उत्पादन और नए ऑर्डरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। यही नहीं इस महीने कंपनियों ने ऐतिहासिक स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी की। आईएचएस मार्किट द्वारा आज यहां विनिर्माण क्षेत्र के लिए खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की रिपोर्ट जारी की गई।

माह-दर-माह आधार पर जारी होने वाला सूचकांक मई में 30.8 दर्ज किया गया जिसका मतलब यह है कि अप्रैल की तुलना में विनिर्माण गतिविधियों में भारी गिरावट आई है। सूचकांक का 50 से कम रहना पिछले महीने के मुकाबले गिरावट को और 50 से ऊपर रहना वृद्धि को दर्शता है, जबकि 50 का अंक स्थिरता का द्योतक है। हालाँकि अप्रैल के मुकाबले गिरावट की रफ्तार मामूली रूप से कम रही। अप्रैल में सूचकांक 27.4 दर्ज किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों ने मई में ऐतिहासिक स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी की है। आईएचएस ने 15 साल पहले पीएमआई रिपोर्ट तैयार करनी शुरू की थी। कर्मचारियों की छंटनी की रफ्तार मई में इन 15 साल में सर्वाधिक रही। इससे पिछला रिकॉर्ड स्तर इसी साल अप्रैल में दर्ज किया गया था। सरकार ने मई में लॉकडाउन में धीरे-धीरे कुछ ढील देनी शुरू कर दी थी। इसके बावजूद विनिर्माण गतिविधियां अप्रैल की तुलना में और कमजोर हो गयीं। घरेलू मांग में गिरावट के साथ ही अंतरार्ष्ट्रीय स्तर से भी मांग बेहद कमजोर रही। कोविड-19 का संक्रमण रोकने के प्रयास में विभिन्न देशों द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों के कारण मांग में कमी आई है।

कम मांग रहने के कारण उत्पादन में भी भारी कमी देखी गयी। हालाँकि अप्रैल की तुलना में उत्पादन में गिरावट की रफ्तार कम रही। कंपनियों ने कच्चे माल की खरीद भी लगातार दूसरे महीने घटाई। आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री इलिएट केर ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि मई में लगातार दूसरे महीने भारी गिरावट यह दर्शाता कि कोविड-19 संकट से उबरने में कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मांग कमजोर बनी हुई है जबकि यह महामारी कब तक रहेगी इस बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता।

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