भारत में Tesla के आने की राह हुई आसान, सरकार ने बदली EV पॉलिसी

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ऑटो मोबाइल कंपनियों को ईवी सेक्टर में प्रवेश के लिए न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये का निवेश जरूरी है

नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के निर्माण को बढ़ावा और मजबूती देने के लिए नई इलेक्ट्रिक वाहन (ई-वाहन) नीति को मंजूरी दे दी है। इसके लिए न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) का निवेश जरूरी है, जबकि अधिकतम निवेश पर कोई सीमा नहीं है। नई पॉलिसी आने के बाद भारत में प्रवेश का रास्ता तलाश रही ईवी कंपनी टेस्ला की राह आसान हो गई है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि भारत को ईवी के विनिर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने और प्रतिष्ठित वैश्विक ईवी निर्माताओं से निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। मंत्रालय के मुताबिक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत किसी कंपनी को न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना जरूरी होगा। यह विभिन्न शुल्क रियायतों की भी हकदार होगी।

मंत्रालय के मुताबिक भारत में निर्माण सुविधाएं स्थापित करने और ईवी का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने के लिए तीन साल की समय-सीमा और अधिकतम 5 वर्षों के भीतर 50 फीसदी घरेलू मूल्यवर्धन हासिल करना होगा। इसके साथ ही ईवी के लिए निर्माण सुविधाएं स्थापित करने वाली कंपनियों को कम कस्टम ड्यूटी पर कारों के सीमित आयात की अनुमति दी जाएगी।

वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक मानक पूरा करने वाली कंपनियों को 35 हजार डॉलर और उससे अधिक कीमत वाली कारों पर 15 फीसदी के कम आयात शुल्क पर प्रति वर्ष 8 हजार इलेक्ट्रिक वाहनों को आयात करने की अनुमति दी जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि इस कदम से नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करने और ईवी इकोसिस्टम को बढ़ाने और मेक इन इंडिया पहल में समर्थन मिलने की उम्मीद है।

नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति की शर्तें

  • - इसके लिए न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये (500 मिलियन यूएस डॉलर) का निवेश अनिवार्य है, जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।
  • - भारत में निर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए तीन वर्ष और ई-वाहनों का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने की समय-सीमा और अधिकतम पांच वर्षों के भीतर 50 फीसदी घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) तक पहुंचना।
  • - निर्माण के दौरान घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए): तीसरे वर्ष तक 25 फीसदी और पांचवें वर्ष तक 50 फीसदी का स्थानीयकरण स्तर हासिल करना होगा।
  • - इसके लिए 15 फीसदी का सीमा शुल्क (जैसा कि सीकेडी इकाइयों पर लागू होता है) कुल 5 साल की अवधि के लिए 35,000 अमेरिकी डॉलर और उससे अधिक के लिए न्यूनतम सीआईएफ मूल्य वाले वाहन पर लागू होगा, बशर्ते निर्माता 3 साल की अवधि के भीतर भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करे।
  • -आयात के लिए अनुमत ईवी की कुल संख्या पर छोड़ा गया शुल्क किए गए निवेश या 6484 करोड़ रुपये (पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन के बराबर) जो भी कम हो, तक सीमित होगा। यदि निवेश 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक है, तो प्रति वर्ष 8 हजार से अधिक की दर से अधिकतम 40 हजार ईवी की अनुमति नहीं होगी। अप्रयुक्त वार्षिक आयात सीमाओं को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी।

मंत्रालय ने कहा कि सरकार का यह कदम भारतीय उपभोक्ताओं को नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगा। यह मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा। यह नीति ईवी कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगी, जिससे उच्च मात्रा में उत्पादन, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन की कम लागत, कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी। इसके अलावा व्यापार घाटा कम होगा, विशेषकर शहरों में वायु प्रदूषण कम होगा और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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