कांग्रेस की ऑयल बांड नीति ने बिगाड़ा तेल की कीमतों का खेल, भाजपा सरकार भुगत रही खामियाजा
नईदिल्ली। भारत में पेट्रोल- डीजल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। तेल कीमतों की वृद्धि से देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। तेल की कीमतों में वृद्धि के पीछे का असल कारण गत यूपीए सरकार की नीतियां है। कांग्रेस नेतृत्व वाली इस सरकार में तेल पर सब्सिडी दी जाती थी। जिसके बदले में तेल कंपनियों को बांड जारी होते थे।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को कहा की पिछली सरकारों ने पेट्रोलियम बांड की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया।कांग्रेस ने 2014 से पहले लिए ऑयल बांड्स पर पर लाखों करोड़ों रुपये बकाया छोड़ दिया। अब भाजपा सरकार उस बकाया राशि का ब्याज और मूलधन चुका रहीं है। जिससे पेट्रोल की दरों में वृद्धि हुई है।
शेष भुगतान राशि -
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गत यूपीए सरकार ने करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड्स जारी किए थे, जिनकी परिपक्वता अवधि पूरी होने पर 2021 से लेकर 2026 होना है। बताया जा रहा है की इसी साल 2021 में सरकार को 20 हजार करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज का भुगतान करना है। वहीँ आने वाले सालों की बात करें तो 2023 में 22 हजार करोड़, 2024 में 40 हजार करोड़ और 2026 में 37 हजार करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान करना होगा। जिसके चलते हाल - फिलहाल पेट्रोल की कीमतों में कमी के कोई आसार नहीं है।
ये होते है ऑयल बांड्स -
ऑयल बांड एक तरह की विशेष प्रतिभूति ( स्पेशल सिक्युरिटी ) होती है, जिन्हें सरकार तेल कंपनियों को सब्सिडी के बदले में जारी करती है। ये बांड्स लंबी अवधि का करार होते है। इस दौरान इन पर साल ब्याज का भुगतान किया जाता है।