भारत में डिजिटल सेवाओं को तकनीक ने बनाया आसान
दिल्ली। आज, बैंकिंग सेवाओं की पहुंच भारत के सभी परिवारों तक है। वर्ष 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना इस बदलाव की महत्वपूर्ण ड्राइवर बनी और इस योजना के तहत रिकार्ड 38.06 करोड़ बैंक खाते खोले गए। यूपीआई और रूपे डेबिट कार्ड जैसी प्रमुख पहलों से इस ट्रेंड को और तेजी दी। इसी तर्ज पर, भारतनेट मिशन दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचा रहा है, जिससे तकनीक से संचालित बीएफएसआई सेवाओं का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है।
भारत में इंटरनेट यूजर्स के बढ़ते आधार के साथ, बैंकों के रिटेल टचपॉइंट्स पर बहुत ज्यादा लोगों से डील नहीं करना होता। वे अब बड़े पैमाने पर इन ग्राहकों को अपने डिजिटल यानी स्मार्टफोन ऐप्लिकेशन पर प्राप्त करते हैं। यह ग्राहकों को विशेष रूप से इसके लिए समय निकाले बिना हर तरह का लेन-देन का अधिकार देता है। यूपीआई की तकनीकी खासियतों (जिसमें बैंक और नॉन-बैंक प्रोवाइडर्स में इंटरऑपरेबिलिटी शामिल हैं) ने लेन-देन की लागत के साथ इसमें लगने वाला वक्त भी काफी हद तक कम कर दिया है। भारत दूरदराज के क्षेत्रों के बीच एईपीएस (आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली) द्वारा संचालित बायोमेट्रिक लेन-देन में वृद्धि देख रहा है। एईपीएस में हर महीने 200 मिलियन से अधिक का मासिक लेन-देन हो रहा है।
इससे पहले तक भारतीय निवेशक मोटे तौर पर एफडी, आरडी और रियल एस्टेट निवेश जैसे पारंपरिक निवेश साधनों पर निर्भर थे। दिन-प्रतिदिन के जीवन में डिजिटल प्रौद्योगिकी के आने से इसमें भी बदलाव शुरू हो गया। टियर 2 और 3 शहरों में रिटेल निवेशकों ने अब म्यूचुअल फंड और स्टॉक जैसे एडवांस निवेश प्रोडक्ट्स का दोहन करना शुरू कर दिया है। पिछले एक दशक में एनएसई निवेशकों ने 11% की सीएजीआर के साथ लगातार वृद्धि की है और अब यह लगभग 2.78 करोड़ है। दूसरी ओर, वर्तमान में बीएसई के लगभग 4.58 करोड़ निवेशक हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो पिछले वर्ष में 26% बढ़ा है। यह बड़े पैमाने पर हो रहा है क्योंकि ट्रेडिंग ऐप्लिकेशन के साथ-साथ रोबो-एडवायजर्स (निवेश इंजन जो डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर व्यक्तिगत निवेश सलाह देते हैं) का उपयोग करना आसान है।
भारत भी अब ओपन बैंकिंग के विचार के प्रति खुल रहा है। आज जब बैंकों के पास एक बड़ा कस्टमर बेस और ऐतिहासिक डेटासेट उपलब्ध है, तकनीकी-संचालित स्टार्टअप और एनबीएफसी ने उनका उपयोग करने के लिए तकनीकी क्षमता विकसित की है। शुक्र है कि इनमें से अधिकांश हितधारकों को बाजार की मुख्य चुनौतियों से निपटने के लिए जुड़ते देखा जा रहा है। यह ट्रेंड भारत में बेहतर प्रोफाइलिंग, क्रेडिट अंडरराइटिंग और आधुनिक ग्राहकों के सामने आने वाली समस्याओं का सामना करने वाले उत्पादों के विकास के साथ वित्तीय सेवाओं के विस्तार को भी और गति देगा।
डिजिटल सेवाओं के विस्तार को संचालित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है स्वीकार्यता। शुक्र है कि हमने भारत में इस मोर्चे पर एक पॉजीटिव ट्रेजेक्टरी देखी है। कुछ बड़ी घटनाओं ने भी इस ट्रेजेक्टरी को आकार दिया है। उदाहरण के लिए, डिजिटल पेमेंट अपनाने के बाद तेजी आई। कोविड-19 लॉकडाउन में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। कोविड प्रकोप के मद्देनजर एईपीसीएस का उपयोग डाक सेवा पेशेवरों ने दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को अपने घरों में बैठे-बैठे नकदी निकालने में मदद करने के लिए किया है। इस तरह के आयोजनों में एफआई की तकनीकी क्षमताएं बाजार ट्रेंड को आकार देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।