मई में थोक मूल्य सूचकांक में 3.21% की गिरावट
दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान महंगाई काबू में रही है। मई में थोक मूल्य सूचकांक में 3.21 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में थोक महंगाई दर 1 फीसदी थी, लेकिन मई में यह -3.21 पर आ गई। पिछले साल मई में यह 2.97 फीसद था। मुद्रास्फीति में यह गिरावट मई में ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज गिरावट के कारण आई है, हालांकि इस दौरान खाने-पीने की चीजें महंगी हुईं। बता दें पिछले शुक्रवार, अप्रैल और मई के लिए उपभोक्ता उपभोक्ता मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ-साथ अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन जारी नहीं किया गया था।
खाने-पीने की चीजों की बात करें तो मई में खाद्य पदार्थों का थोक मूल्य सूचकांक 1.13 फीसद पर आ गया, जबकि अप्रैल में यह 2.55 फीसद था। वहीं ईंधन और पॉवर की बात करें तो यहां डिफलेशन 19.83 फीसद पर आ गया है। इसमें गिरावट जारी है अप्रैल में यह 10.12 फीसद पर था। जबकि, मई में विनिर्मित उत्पादों में 0.42 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के वेब पोर्टल के माध्यम से देश भर में फैले चयनित संस्थागत स्रोतों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से यह आंकड़े ऑनलाइन एकत्र किए जाते हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सोमवार को जारी वक्तव्य के मुताबिक, ''मासिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर मई 2020 के दौरान 3.21 प्रतिशत (अस्थाई आंकड़ा) नकारात्मक रही जो कि एक साल पहले इसी माह के दौरान 2.79 प्रतिशत बढ़ी थी। ईंधन और बिजली समूह में मई के दौरान 19.83 प्रतिशत अवस्फीति रही जबकि एक महीना पहले अप्रैल में भी इसमें 10.12 प्रतिशत की गिरावट रही थी। मुद्रास्फीति की विपरीत स्थिति को अवस्फीति कहते हैं। इसमें मुद्रा का मूल्य बढ़ता है यानी कीमतें घटती हैं। उत्पादन तथा रोजगार घटने के साथ साथ कीमतें गिरतीं हैं।
देश में 25 मार्च 2020 से लॉकडाउन लागू कर दिए जाने से आंकड़ों के संकलन पर भी असर पड़ा है। वाणिज्य मंत्रालय ने तब अप्रैल माह के लिये थोक मूल्य सूचकांक के संकुचित आंकड़े जारी किए थे। माह के लिये केवल खाद्य पदार्थों, प्राथमिक वस्तुओं और ईंधन एवं बिजली समूह के ही आंकड़े जारी किए गए। बहरहाल, मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मार्च की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का अंतिम आंकड़ा 0.42 प्रतिशत रहा जबकि इससे पहले 14 अप्रैल 2020 को इसका अस्थाई आंकड़ा एक प्रतिशत जारी किया गया था।