मप्र हाईकोर्ट ने दिया झटका, एमपीपीएससी की सहायक प्राध्यापकों की 2500 नियुक्तियां रद्द
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला देते हुए मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ( एमपीपीएससी ) की सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2017 (असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा) की रिवाइज्ड चयन सूची को गलत बताते हुए निरस्त कर दिया। चीफ जस्टिस एके मित्तल एवं जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने बुधवार को पीएससी को 2 माह के भीतर एमपी सिविल सेवा नियम 1997 के नियम 3 के तहत महिलाओं को 33 फीसदी होरिजोंटल आरक्षण देते हुए नई लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं। यहां बता दें कि पीएससी ने 2500 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले से ये नियुक्तियां समाप्त हो जाएंगी।
एमपीपीएससी ने चयन सूची में जनरल कैटेगरी की महिलाओं के लिए आरक्षित कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को चयनित कर लिया गया था। पीएससी के इस चयन में खामियां बताते हुए इंदौर की लालिमा विजयवर्गीय और जनरल कैटेगरी की करीब 80 महिलाओं ने हाईकोर्ट याचिकाएं दायर की थीं। मामले पर हाईकोर्ट ने अंतिम फैसला देते हुए कहा कि सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित कोटे में एससी, एसटी या ओबीसी महिला को समायोजित नहीं किया जा सकता भले ही उनके प्राप्तांक सामान्य वर्ग की महिला से ज्यादा हों।
याचिकाकताओं की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मध्य प्रदेश लोक सेवा सेवा आयोग की ओर से वर्ष 2017 में सहायक प्रदधापको की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इसके बाद पीएससी द्वारा जारी रिजल्ट में महिला आरक्षण का पालन नहीं किया गया। सामान वर्ग के लिए आरक्षित विभिन्न विषयो की सीट पर ओबीसी की 91 महिलाए मेरिट के आधार पर नियुक्त किया गया है। जो आरक्षण के होरिजोंटल नियम का उल्लंघन किया गया है। नियमानुसार मेरिट मे टॉप अभ्यथीर्यो को माइग्रेट (अनारक्षित) नही किया जा सकता है। जिस वर्ग मे जो महिला है वह उसी वर्ग में उन्हें लाभ मिलना चाहिए। युगल पीठ ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए 13 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए थे।
मध्य प्रदेश में 33 फीसदी महिलाओ के लिए होरिजोंटल आरक्षण है। युगल पीठ ने अपने आदेश में 4 फीसदी एससी फीमेल, 4 फीसदी एसटी फीमेल, 6 फीसदी ओबीसी फीमेल, 12 फीसदी अनारक्षित फीमेल के अनुरूप 2 माह में नवीन चयन सूची जारी करने का आदेश दिया गया है।