विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिये अब PhD अनिवार्य

विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिये अब PhD अनिवार्य
X

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि वर्ष 2021-22 से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिये पीएचडी अनिवार्य होगा और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को एकमात्र पात्रता के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा। हालांकि, कॉलेजों में सीधे नियुक्ति के लिये न्यूनतम पात्रता के रूप में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ नेट या पीएचडी जारी रहेगा। अभी विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर जैसे प्रवेश स्तर के पदों के लिये न्यूनतम पात्रता स्नातकोत्तर डिग्री के साथ नेट या पीएचडी है।

यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के नये नियमन की घोषणा करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अकादमिक प्रदर्शन सूचकांक (एपीआई) को कॉलेज शिक्षकों के शोध के लिये अनिवार्य बनाने को समाप्त कर दिया गया है ताकि शिक्षक छात्रों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे सकें। उन्होंने कहा कि इस पूरी कवायद का मकसद शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना है। इसमें पूर्व के नियमन की सभी सुविधाओं को बनाये रखा गया है। केवल कॉलेज शिक्षकों के लिये एपीआई को समाप्त कर दिया गया है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अब कॉलेज शिक्षकों के लिये अनिवार्य रूप से शोध करना जरूरी नहीं होगा। पदोन्न्ति में शिक्षकों के पढ़ाने से जुड़े परिणामों को ध्यान में रखा जायेगा। अगर शिक्षक शोध करते है, तब पदोन्नति में अतिरिक्त अंक जुड़ेंगे। जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्ययालयों में नयी नियुक्ति केवल पीएचडी धारकों की होगी। इसके लिये तीन वर्षों का समय दिया गया है। साल 2021 से असिस्टेंट प्रोफेसर को पीएचडी धारक होना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे भारतीय छात्र जिन्होंने देश के बाहर के 500 शीर्ष विश्वविद्यालयों से पीएचडी डिग्री हासिल की होगी, वे विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के पात्र होंगे।

Tags

Next Story