लॉकडाउन में ओटीटी मंच पर जगह तलाशता सिनेमा
स्वदेश वेबडेस्क। हर मुश्किल का हल होता है आज नहीं तो कल होता है। कोरोना लॉकडाउन के समय सिने दुनिया ने ही ऐसा ही कुछ हल निकाल लिया है। भले ही सिनेमाघर बंद हों मगर कलाकारों की अदाकारी के दीदार हमें लगातार हो रहे हैं। हाल फिलहाल सबसे प्रचलित ओटीटी प्लेटफार्म तेजी से लेाकप्रिय हो रहा है। लॉकडाउन के समय जब मल्टीप्लेक्स बंद हैं, सीडी और डीवीडी मिल नहीं रहे। ऐसे में ऑनलाइन सबक्रिबशन पर बेबसीरिज खूब देखी जा रही हैं।
बेबसीरिज एक दम नया मनोरंजन है। फिल्मी निर्देशकों ने इस ताकत को समझ लिया है कि 6 इंच का मोबाइल देश के कोने कोने तक पहुंच गया है। यह स्मार्टफोन जिन लोगों की पहुंच में आया है उनमें से अधिकांशत युवा एवं कामकाजी वर्ग हैं। गांवों में भी इन मोबाइल की पहुंच हुई है । यह मोबाइल घर के युवा बेटे के पास है। उस बेटे के पास जो नौकरी की सूचनाएं ऑनलाइन पढ़ता है तो देश दुनिया की खबरें मोबाइल से जानकर अपने गांव एवं परिवार में बताता है। अपने कस्बे, शहर और प्रदेश की राजनीति की खबरें वॉट्सएप पर अविलंब पाता है और निरंतर उन्हें फारवर्ड भी करता है। ये युवा फेसबुक चलाता है। टिकटॉक पर वीडियो बनाता है और उनके आगे बढ़ाकर लाइक बटोरता है। कुल मिलाकर स्मार्टफोन वाला ये युवा और कामकाजी वर्ग सिने दुनिया के केन्द्र में है। इस वर्ग की महत्वकाक्षाएं है तो वो भौतिकवाद से खासा प्रभावित है। उसके पास पैसा भी है। बेबसीरिज देखने पैसा खर्च कर सकता है। डाटा पैक ले सकता है। सबक्रिबशन चार्ज चुका सकता है। एमएक्स प्लेयर, उल्लू एप, जी सिनेमा, हॉटस्टार ओटीटी प्लेटफार्म हैें।
इन्हें ओवर द टॉप कहा जाता है। यह डायरेक्ट इंटरनेट से एक्ससेस होती हैं। लॉकडाउन में ये ऑनलाइन मंच खूब लोकप्रिय हो रहा है। सबसे बड़ी खबर तो ये है कि तमाम बेबसीरिज के बाद अब इस पर फिल्में भी रिलीज होना शुरु हो रही हैं। शुरुआत अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की गुलाबो सिताबो से होने जा रही है। जून महीने में इस फिल्म के ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होने की खबर आ रही है। ऐसा होता है तो यह बहुत बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। जो ऑनलाइन प्लेटफार्म सिनेमा का अतिरिक्त मंच दिख रहा था वह अब बड़े पर्दे को भी चुनौती की शुरुआत करने जा रहा है। यह कहना जल्दबादी होगी कि इसका कितना असर होगा मगर लॉकडाउन ने इसकी जगह पैदा की थी और ओटीटी प्लेटफार्म ने इसको हाथों हाथ लपक लिया है।
अगर अमिताभ की फिल्म रिलीज होती तो अगली कई फिल्में भी बनकर तैयार हैं और रिलीज का इंतजार कर रही है। कोरोना संकट जिस तरह से चल रहा है उसमें मल्टीप्लेक्स कब और किस स्वतंत्रता से खुलेंगे, उनके प्रति आम लोगों का कैसा रिस्पांस होगा इन सारे प्रश्नों का जवाब बीतता समय देगा। ऐसे में एक रिक्त स्थान इस तालाबंदी से पैदा हुआ है और घर घर स्मार्टफोन की पहुंच ने सिनेमा को इस विकल्प पर विचार और आजमाने का पूरा मौका दिया है। ऐसे में देखते हैं कि ओटीटी प्लेटफार्म किस तरह स्वीकारा जाता है। उससे क्या परिवर्तन किस हद तक सामने आते हैं। इस नए नवेले ओटीटी प्लेटफार्म पर चर्चा के कई आयाम बाकी हैं तो पढ़ते रहिएगा।