पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर...शिवसेना ने कंगना को ऐसे चेताया

पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर...शिवसेना ने कंगना को ऐसे चेताया
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नई दिल्ली/मुंबई। बॉलिवुड ऐक्ट्रेस कंगना रनौत और शिवसेना के बीच जुबानी जंग जारी है। ऐसे में शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने फिर कंगना रनौत पर निशाना साधा है। 'सामना' के संपादकीय में 'विवाद माफियाओं का पेटदर्द' शीर्षक के जरिए मुंबई की तुलना 'पाक अधिकृत कश्मीर' से करने पर कंगना रनौत पर कटाक्ष किया गया है। साथ ही मुंबई में रहकर महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाने पर 'सामना' ने 'पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर' वाला उदाहरण दिया है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा, 'मुंबई पाक अधिकृत कश्मीर है कि नहीं, यह विवाद जिसने पैदा किया, उसी को मुबारक। मुंबई के हिस्से में अक्सर यह विवाद आता रहता है। लेकिन इन विवाद माफियाओं की फिक्र न करते हुए मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित है। सवाल सिर्फ इतना है कि कौरव जब दरबार में द्रौपदी का चीरहरण कर रहे थे, उस समय सारे पांडव अपना सिर झुकाए बैठे थे। उसी तरह का दृश्य इस बार तब देखने को मिला जब मुंबई का वस्त्रहरण हो रहा था।'

शिवसेना ने बालासाहेब ठाकरे का जिक्र कर कहा कि शिवसेना प्रमुख हमेशा घोषित तौर पर कहते थे कि देश एक है और अखंड है। राष्ट्रीय एकता तो है ही लेकिन राष्ट्रीय एकता का ये तुनतुना हमेशा मुंबई-महाराष्ट्र के बारे में ही क्यों बजाया जाता है? राष्ट्रीय एकता की ये बात अन्य राज्यों के बारे में क्यों लागू नहीं होती? महाराष्ट्र में ही राष्ट्र है और महाराष्ट्र मरा तो राष्ट्र मरेगा। ऐसा हमारे सेनापति बापट ने कहा है। लेकिन विवाद खड़ा किया जाता है सिर्फ मुंबई को लेकर। इसमें एक प्रकार का राजनीतिक पेटदर्द है ही। मुंबई महाराष्ट्र की है और रहेगी। संविधान के जनक डॉ. आंबेडकर ने डंके की चोट पर ऐसा कहा है।

फिल्मी सितारों का नाम लेकर शिवसेना ने लिखा कि मुंबई का फिल्म उद्योग आज लाखों लोगों को रोजी-रोटी दे रहा है। वैसे कभी मराठी और कभी पंजाबी लोगों की ही चलती थी। लेकिन मधुबाला, मीना कुमारी, दिलीप कुमार और संजय खान जैसे दिग्गज मुसलमान कलाकारों ने पर्दे पर अपना 'हिंदू' नाम ही रखा, क्योंकि उस समय यहां धर्म नहीं घुसा था। कला और अभिनय के सिक्के बजाए जा रहे थे। परिवारवाद का वर्चस्व आज भी है और पहले भी था। कपूर, रोशन, दत्त, शांताराम जैसे खानदान से अगली पीढ़ी आगे आई है लेकिन जिन लोगों ने अच्छा काम किया, वे टिके। मुंबई ने हमेशा केवल गुणवत्ता का गौरव किया। राजेश खन्ना किसी घराने के नहीं थे। जीतेंद्र और धर्मेंद्र भी नहीं थे। इनमें से हर किसी ने मुंबई को अपनी कर्मभूमि माना। मुंबई को बनाने और संवारने में योगदान दिया। पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया या खुद कांच के घर में रहकर दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका। जिन्होंने फेंका उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र का श्राप लगा।

कंगना रनौत के आने से पहले भी शिवसेना के मुखपत्र सामना में कंगना पर हमला बोला था। सामना ने कंगना को बेईमान, देशद्रोही...जैसे शब्दों से तीखा हमला किया था। सामना के संपादकीय में कंगना को बेईमान बताया गया था। यहां तक कि कंगना को देशद्रोही, बेईमान और मानसिक विकृत बताया गया। वहीं मोदी सरकार को देशद्रोही को सुरक्षा देने की बात कही गई थी। साथ ही पत्रकारों को भी देशद्रोही बताकर हरामखोर कहा गया था।

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