पुलिस की पिटाई के बाद छोड़ दी थी राजनीति: पंकज त्रिपाठी

पुलिस की पिटाई के बाद छोड़ दी थी राजनीति: पंकज त्रिपाठी
"यह मेरे जीवन का वह चरण था, जब मुझे थिएटर में रुचि होने लगी। इसने मुझे इस क्षेत्र के प्रति अधिक आकर्षित किया।"

पंकज त्रिपाठी जल्द ही अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक 'मैं अटल हूं' में नजर आएंगे। इस बार उन्होंने अपने जीवन की एक पुरानी कहानी शेयर की है। पंकज ने कहा कि उनका झुकाव राजनीति की ओर था, लेकिन एक घटना के बाद उनका मोहभंग हो गया और राजनीति का ख्याल मन से निकाल दिया।हाल ही में एक इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने बिहार में अपने कॉलेज के दिनों के बारे में बात की। तब वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का हिस्सा थे। राजनीति में आने संबंधी एक सवाल के जवाब में पंकज त्रिपाठी ने एक किस्सा सुनाया।

उन्होंने कहा कि वह राजनीति में आना चाहते थे, लेकिन गिरफ्तार होने और पुलिस की पिटाई के बाद उन्होंने राजनीति करने का विचार त्याग दिया। पंकज त्रिपाठी ने कहा कि इसी दौरान उन्हें थिएटर में रुचि पैदा हुई और उन्होंने उसी रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि, "यह मेरे जीवन का वह चरण था, जब मुझे थिएटर में रुचि होने लगी। इसने मुझे इस क्षेत्र के प्रति अधिक आकर्षित किया।"

पंकज ने वर्ष 2019 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने पटना की बेउर जेल में एक सप्ताह बिताया और उस अनुभव ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी। आपको जेल में कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। कोई बैठक नहीं, कोई खाना नहीं, कुछ भी नहीं। आप बिल्कुल अकेले हैं। पंकज ने कहा था कि जब इंसान बेहद अकेला हो जाता है तो वह खुद को तलाशना शुरू कर देता है। उन सात दिनों में मैं खुद से मिला। जब मैंने हिंदी साहित्य पढ़ना शुरू किया तो मुझे एहसास हुआ कि मैं इस दुनिया से कितना अलग हो गया हूं। उसके बाद, मैं पूरी तरह से बदल गया।

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