वित्त विभाग ने 'AI' के जरिए पकड़ा 162 करोड़ का घोटाला, अधिकारियों - कर्मचारियों पर FIR दर्ज

वित्त विभाग ने AI के जरिए पकड़ा 162 करोड़ का घोटाला, अधिकारियों - कर्मचारियों पर FIR दर्ज
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उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, अलीराजपुर में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा
43 प्रकरणों में 170 अधिकारियों कर्मचारियों पर FIR दर्ज

भोपाल/रामेश्वर धाकड़। मप्र सरकार के खजाने में सालों से लगाई जा रही चपत को वित्त विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के जरिए पकडऩे में बड़ी सफलता हासिल की है। आयुत कोष एवं लेखा ने आईएफएमआईएस सॉफ्टवेयरके जरिए होने वाले सभी प्रकार के सरकारी वित्तीय लेनदेन की निगरानी के लिए राज्य स्तरीय फायनेंशियल इंटेलीजेंस सेल (एसएफआईसी) का गठन किया। एसएफआईसी ने साल भर के भीतर 162 करोड़ का गबन पकड़ा है। जिसमें 15.48 करोड़ की वसूली हो पाई है। जबकि 170 अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराए गए हैं। इनमें से कुछ पर निलंबन और विभागीय जांच की कार्रवाई भी हो चुकी है। खास बात यह है कि प्रदेश के इतिहास में गबन के मामले में इस तरह की यह पहली कार्रवाई है।

राज्य सरकार के पिछले सालों में करोड़ों लेन-देन हुए हैं। जिनमें हुई गड़बड़ी को पकडऩा मानवीय तौर पर आसान नहीं है। एसएफआईसी ने पिछले 5 साल के 85 लाख बिलों और उनके जरिए हुए 15 करोड़ लेनदेन (ट्रांजेशन) का विश्लेषण किया। यह कार्यवाही जारी है। गड़बड़ी की संभावना वाले लेनदेन की गहन पड़ताल में करोड़ों के गबन सामने आ रहे हैं। सबसे पहला 9.24 करोड़ का गबन कलेटर कार्यालय इंदौर में पकड़ा, जिसके चलते 54 आरोपियों पर प्रकरण दर्ज हुआ।

ऐसे लगती है खजाने में सेंध -

प्रदेश में गबन के जो मामले सामने आए हैं, उनमें आहरण एवं कोषालय अधिकारियों की गंभीर लापरवाही रही है। आहरण अधिकारियों ने लॉगिन और पासवर्ड बाबुओं को दे दिए। आहरण कार्यालयों में बिल मंजूर करने का काम भी बाबुओं के हवाले था। जिसका बाबुओं ने फायदा उठाया और गबन कर पैसा परिजनों एवं परिचितों के खातों में डाला। आहरण अधिकारियों ने कर्मचारियों के बैंक खाता बदलने के अधिकार का जमकर दुरुपयोग किया। खाते बदलकर भविष्य निधि खातों से पैसा निकाला गया। अब आयुत कोष एवं लेखा ने इस प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब कर्मचारियों के बैंक खाते में परिवर्तन एवं विभागीय भविष्य निधि के बैलेंस में परिवर्तन कोषालय अधिकारी के अनुमोदन उपरांत ही संभव है। गृह भाड़ा भत्ता एवं वर्दी धुलाई भत्ता के साथ वेतन के अन्य भत्तों में अधिकतम संभव राशि की सीमा लगाई गई है।

एआई ने पकड़े प्रमुख मामले -

प्रकरण-1: मार्च 2023 में एसएफआईसी के जरिए सबसे पहले जिलाधीश कार्यालय इंदौर में लगभग 9 करोड़ रुपए का गबन पकड़ा। सहायक वर्ग-3 मिलाप सिंह चौहान ने असफल भुगतानों एवं कार्यालय व्यय के देयकों की राशि स्वयं, पत्नी एवं मित्रों के खाते में डाली। 54 व्यतियों पर प्रकरण दर्ज हुआ है।

प्रकरण-2 : मार्च 2023 में केंद्रीय जेल भेरूगढ़ उज्जैन के प्रहरियों की भविष्य निधि का पैसा जेल के ही अधिकारी एवं प्रहरी रिपुदमन सिंह रघुवंशी, शैलेन्द्र सिंह सिकरवार एवं सोनू मालवीय एवं अन्य ने निकाल लिया। जांच के दौरान यह भी पता चला कि भविष्य निधि के अलावा गृह भाड़ा भत्ता, वर्दी धुलाई भत्ता भी हड़प लिया। जेल में 20.12 करोड़ का गबन हुआ। 10 पर मामला दर्ज है। जांच चल रही है।

प्रकरण-3 : अप्रैल 2023 में देवास जिले के शासकीय महाविद्यालय बागली एवं शासकीय महाविद्यालय हाटपिपल्या में छात्रवृत्ति में 3.8 करोड़ का गबन पकड़ा गया। कर्मचारी विजय शंकर त्रिपाठी, रोहित दुबे ने कर्मचारियों के एरियर एवं छात्रों की स्कालरशिप की राशि को अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया। दोनों मामलो में 10 लोगों पर मामला दर्ज किया गया।

प्रकरण-4 : नवंबर-2023 ग्वालियर के कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी कार्यालय खंड-एक के कार्यालय में 81.27 करोड़ का गबन पकड़ा गया। यहां भी फर्जी भुगतान किया गया। इस मामले में सिर्फ एक व्यति पर मामला दर्ज है। जबकि कई रसूखदार बचे हुए हैं

प्रकरण-5 अलीराजपुर के जनपद पंचायत कार्यालय में चरावृत्ति के नाम पर 20.47 करोड़ रुपए का गबन पकड़ा गया है। जिसमें 6 लोगों पर मामला दर्ज है।

इन कार्यालयों में भी पकड़े गबन

  • आगर-मालवा उपसंचालक पशुपालन 56.74 लाख,
  • शाजापुर जिले में उपसंचाक पशुपालन 4 लाख,
  • जनपद पंचायत शाजापुर 9.36 लाख,
  • जनपद कार्यालय कालापीपल 10.11 लाख,
  • खरगोन जिले के कसरावद जनपद कार्यालय में 2.04 करोड़,
  • खरगोन में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में 2.83 करोड़,
  • वन मंडलाधिकारी खंडवा 12.32 लाख,
  • एसएएफ धार में 42.85 लाख,
  • जनपद निसारपुर जिला धार में 1.18 करोड़,
  • पुलिस प्रशिक्षण केंद्र इंदौर 1.04 करोड़,
  • सागर में ईई जल संसाधन विभाग 60 लाख,
  • सागर अधीक्षण यंत्री लोनिवि 29 लाख,
  • अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ में 1.37 करोड़,
  • जनपद सीधी 3.75 लाख,
  • कन्या विद्यालय सीधी 27 लाख,
  • ईई पीएचई सीधी 15.76 लाख,
  • भोपाल जनपद फंदा में 14.47 लाख,
  • नर्मदापुरम डोलारिया तहसील में 2.23 करोड़,
  • एसपी कार्यालय नर्मदापुरम में 21.12 लाख,
  • मंत्रालय भोपाल वन संरक्षक 16.32 लाख,
  • सीएमएचओ रायसेन 1.92 करोड़,
  • जनपद कार्यालय छिंदवाड़ा में 63.71 लाख,
  • जनपद मोहखेड़ छिदवाड़ा में 19.97 लाख,
  • जनपद तामिया जिला छिंदवाड़ा में 43.55 लाख,
  • जनपद कार्यालय बालाघाट में 86.44 लाख,
  • जनपद भिंड में 20.62 लाख,
  • एएससीओ भिंड 58.33 लाख,
  • जनपद मेहगांव भिंड में 73.51 लाख,
  • जनपद लहार भिंड में 8.82 लाख,
  • जनपद भांडेर दतिया में 2.35 करोड़,
  • तहसील पोहरी शिवपुरी में 62.66 लाख,
  • एसपी कार्यालय शिवपुरी 9.34 लाख,
  • जनपद चाचौड़ा गुना में 14.34 लाख,
  • जनपद कार्यालय गुना और बमौरी में 1.47 करोड़,
  • जनपद पहाडग़ढ मुरैना में 5.22 लाख रुपए का गबन पकड़ा गया

इन्होंने कहा --

एक साल में 162 करोड़ रुपए का गबन पकड़ा गया है। निकट भविष्य में और भी मामले सामने आ सकते हैं। अभी गड़बड़ी पकडऩे में एआई ने शुरुआत की है। धीरे-धीरे इसे विस्तृत रूप से लागू करेंगे। जिससे हर आहरण की स्वत: जांच होगी। जो मामले पकड़ में आए हैं, उनमें आरोपियों का बचना मुश्किल है योंकि सभी तरह के तथ्य मौजूद हैं।

ज्ञानेश्वर पाटिल सचिव, वित्त एवं आयुत कोष एवं लेखा

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