लव जिहाद की शिकार युवतियों के मानवाधिकारों की बात कौन करेगा?
तमाम विमर्श के बावजूद देश के बुद्धिजीवी यह मानने को तैयार ही नहीं कि लव जिहाद के द्वारा महिलाओं का उत्पीडऩ किया जा रहा है। जबकि वे यह नहीं देखते कि जिहाद की यह सुनियोजित साजिश नारी अस्मिता पर आघात करती है। महिलाओं के आत्मसम्मान को तार-तार करने वाली ऐसी कई घटनाएं सामने आती रहती है, जहां किसी गर्भवती महिला को धर्मान्तरण के लिए मजबूर किया जाता है, मना करने पर उसके पेट पर लात मार दी जाती है। मानवता को शर्मसार करने वाली ऐसी कई घटनाएं समाचार पत्रों में देखने-पढऩे को मिलती है, जहां किसी युवती को आग के हवाले कर दिया गया, जहां उस पर तेजाब फेंक कर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया। शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर गोली मार देने की मानसिकता तो उसी बर्बर इस्लामिक सोच का ही परिचय कराती है जिसके जड़ में जिहाद है।
आक्रामक धर्मान्तरण कराने के इसी इस्लामिक हठ को लव जिहाद की संज्ञा प्राप्त है। यह बात समझ में आ जानी चाहिए कि सशस्त्र जिहाद की तरह ही लव-जिहाद मानवता के लिए बड़ी समस्या है। हाल ही में एक युवती जिहादी प्रताडऩा से तंग आकर मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर पहुंच गई। उसने आरोप लगाया कि उसके पति का असली नाम सलमान है, लेकिन उसने अपनी पहचान छिपाते हुए उमेश नाम बता कर उससे शादी कर ली। बाद में उसे धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रताडि़त किया गया, जान से मारने कि धमकी दी।
अभी कुछ दिनों पहले की ही एक घटना है। एक स्थानीय पत्रकार मकसूद खान को एक महिला की शिकायत के आधार पर गाडरवारा में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था। उसने न सिर्फ उस महिला का यौन उत्पीडऩ किया, बल्कि उसे नमाज अदा करने और इस्लामिक रिवाज सीखने के लिए भी मजबूर किया था। उसने इस तथ्य को भी छिपाया कि वह न केवल वह शादीशुदा मुसलमान है बल्कि उसका एक बच्चा भी है।
यह सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है, केरल से लेकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख तक जिहादी षड्यंत्रकारियों का एक जाल बिछा हुआ है। गैर मुस्लिम लड़कियों को योजनाबद्ध तरीके से जबरन या धोखे से अपने जाल में फंसा लेना असभ्य एवं बर्बर समाज की सोच है। यह सिर्फ जनसंख्या बढ़ाने का दुष्चक्र ही नहीं, बल्कि आतंकवाद का एक प्रकार है। इस आतंकवाद से त्रस्त मानव जातियाँ जब इसके खिलाफ आवाज उठाती है तब सेकुलर बिरादरी के मानवता की मौत हो जाती है। अराजकतावादियों के द्वारा यह दुष्प्रचार फैलाया जाता है कि यह एक ढकोसला है, उन्हें यह पता होना चाहिए कि केरल उच्च न्यायालय ने ही इसे धर्मांतरण का सबसे घिनौना तरीका बता कर ही लव जिहाद नाम दिया था। कई मामलों में तो पकड़े गए जिहादियों ने यहां तक स्पष्ट कहा है कि उन्हें इस काम के लिए मौलवी ने पैसे भी दिए हैं। मदरसे और मस्जिदों से लव जिहाद के लिए फंडिंग किया जाना उसी असभ्य समाज की बर्बर सोच को प्रदर्शित करता है, जिसकी जड़ता में साजिश और जिहाद है।
सच्चे प्यार के लिए समर्पण चाहिए , जिहाद नहीं
एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक गैर मुस्लिम लड़कियां इस षड्यंत्र का शिकार बनाई जाती हैं। जिहादियों के जाल में फंसने के बाद इन लड़कियों का न केवल जबरन धर्मांतरण होता है बल्कि उन्हें नारकीय जिंदगी जीने पर मजबूर किया जाता है। उनसे गलत काम करवाने और उन्हें बेच देने की घटनाओं के अलावा पूरे परिवार के पुरुषों व मित्रों द्वारा जबरन यौन शोषण की घटनाएं भी समाचार पत्रों में आती ही रहती हैं। जब इन अमानवीय यातनाओं की अति हो जाती है तो ये लड़कियां आत्महत्या के लिए विवश हो जाती हैं। यहां ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि वैसे मामले जहां पुलिस में शिकायत दर्ज होती है, वे तो समाज के संज्ञान में आते है लेकिन जो मामले दर्ज ही नहीं होते, जहां महिलाएं इस्लामिक उत्पीडऩ सहते हुए, धर्मान्तरण करके घुट घुट कर नकाबपोश हो कर नरकीय जीवन जीने को विवश हो जाती है, उस पर कोई चर्चा ही नहीं होती।
लव जिहाद के ज्यादातर मामलों में पीडि़ता को शिकायत करने का अवसर ही नहीं मिल पाता है, उन्हें शिकायत करने से पूर्व ही मार दिया जाता है। एक न्यायालय ने तो अपनी टिप्पणी में पूछा भी था कि लव जेहाद की शिकार लड़कियां गायब क्यों हो जाती है?
आज यह समझा जाना चाहिए कि लव जिहाद से संपूर्ण मानवता त्रस्त है। कहीं इसे रोमियो जेहाद तो कहीं इसे पाकिस्तानी गैंग के नाम से संबोधित किया जाता है। मुस्लिम देशों में तो गैर मुस्लिम महिलाओं को यौन दासी माना जाता है, उनके साथ शोषण और उत्पीडऩ की ऐसी घटनाएं होती है कि इंसान तो छोडि़ए, जानवरों का भी मानवता से विश्वास उठ जाए। अब विश्व के कई देश इस्लामिक जिहाद से त्रस्त होकर आवाज उठाने लगे हैं। म्यानमार से रोहिंग्याओं को खदेडऩे की घटनाओं के मूल में भी लव जिहाद ही है। श्रीलंका में 10 दिन की आंतरिक एमरजेंसी लगाकर वहां के समाज के आक्रोश को शांत करना पड़ा था। जब स्वभाव से शांत बौद्ध समाज का आक्रोश यह रूप धारण कर सकता है तो बाकी समाज का आक्रोश कैसा होगा? इस दृष्टि से यह समझा जाना चाहिए कि लव जिहाद भी सशस्त्र जिहाद के जैसा मानवता के लिए बड़ा खतरा है।
वोट बैंक या अन्य निहित स्वार्थों के कारण आज भारत में सेकुलर बिरादरी हिंदुओं और देश के भविष्य की चिंता किए बिना इन जिहादियों का खुला समर्थन करती है। ऐसा करते हुए उन्हें ना तो महिलाओं का दुख दर्द दिखता और ना ही नारी अस्मिता और सम्मान की कोई फिक्र होती है। विकृत मानसिकता से भरे हुए जिहादियों के कारण मानवता शर्मसार होती है। कोई भी व्यक्ति जब नाम बदलकर किसी युवती से शादी करे, फिर धर्मान्तरण की धमकी दे और हर रोज युवती को प्रताडि़त करते हुए तेजाब फेंकने की धमकी दे, तो ऐसे में कानून बनाना ही एक मात्र रास्ता रह जाता है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट तौर पर कहा है, राज्य में इस तरह के मामले सामने आने पर इसका निपटान सख्ती से किया जाएगा। राज्य सरकार के द्वारा आगामी विधानसभा सत्र में फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल, 2020' को पेश करने की तैयारी की जा रही है। इससे ना सिर्फ महिलाओं के अधिकार की रक्षा होंगी बल्कि यह नारी सुरक्षा और सम्मान की दृष्टि से बेहद जरूरी है।