‘ईसाई’ मिशनरियों के लिए ‘धर्मांतरण’ की प्रयोगशाला बना ‘पंजाब’: अब ‘सिख और हिंदू’ नहीं, ‘ईसाई’ तय करेंगे पंजाब का अगला ‘मुख्यमंत्री’...

अब ‘सिख और हिंदू’ नहीं, ‘ईसाई’ तय करेंगे पंजाब का अगला ‘मुख्यमंत्री’...
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महानगरों से लेकर गांवों तक फैला ईसाई मिशनरियों का जाल, सिख स्कॉलर डॉ. रणबीर सिंह ने शोध के बाद जारी किए आंकड़े

मधुकर चतुर्वेदी, अमृतसर। गुरूवाणी के गायन से राष्ट्र को समरसता के सूत्रों में बांधने वाली सिख गुरूओं की पवित्र भूमि पंजाब आज धर्मांतरण की प्रयोगशाला बन गया है। गरीब और वंचित समाज के हिंदुओं और सिखों को तरह-तरह के लालच देकर उन्हें ईसाई बनाया जा रहा है।

आज पंजाब के कई जिलों में गुरूद्वारे और मंदिरों से अधिक चर्च दिखायी देते हैं। स्थानीय सिखों और हिंदुओं के धर्मांतरण से हालत इतने गंभीर हो चले कि हर जिले में चर्च ‘यीशु दा मंदिर’ और प्रसाद ‘मसीह दी लंगर’ के रूप में लोगों के बीच लोकप्रिय हो चले हैं। पिछले दो वर्षो में 3.50 लाख लोग सिख और हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बने हैं।

पंजाब में बढ़ती ईसाईयों की संख्या और धर्मांतरण गिरोह पर सिख स्कॉलर और रिसर्चर डॉ. रणबीर सिंह ने व्यापक शोध किया है। डाॅ. रणबीर सिंह का कहना है कि पंजाब में धर्मांतरण गतिविधियां तेजी से बढी हैं और आने वाले समय में स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी कि पंजाब का अगला मुख्यमंत्री ईसाई समुदाय से होगा। क्योंकि वर्ष 2011 में पंजाब में सिखों की संख्या 57 और हिंदुओं की संख्या 48 प्रतिशत थी। वर्तमान में सिखों की संख्या 38 और हिंदुओं की संख्या 36 प्रतिशत रह गयी है।

पिछले दो वर्षो में 3 लाख से अधिक बने ईसाई


पंजाब में ईसाई मिशनरियों ने जिस तरह से पिछले दो वर्षो में गांव-गांव में लोगों को ईसाई बनाया है, उससे पंजाब की संस्कृति और मूल परिवेश तक पर खतरा उत्पन्न हो गया है। पंजाब के 22 जिलों में 12 हजार गांव हैं और 8 हजार गांवों में लोगों ने लालच में ईसाई धर्म स्वीकार किया है।

डाॅ. रणबीर सिंह बताते हैं कि वर्ष 2023-24 में डेढ़ लाख लोग मतांतरित हुए तो वर्ष 2024-25 के अंत तक दो लाख लोगों ने अपना धर्म बदल लिया। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार पंजाब की कुल जनसंख्या 2.77 करोड़ में से 1.26 प्रतिशत ईसाई समुदाय से थे यानी 3.50 लाख लोग इस समुदाय से थे।

इस तरह होता है मतांतरण, ग्रामीणों को देते हैं प्रलोभन

पंजाब में मतांतरण करके ईसाई बनने वालों की संख्या शहरों की तुलना में गांवों में अधिक है। गांव में रहने वाले दलित समुदाय के सिख और हिंदुओं को ईसाई पादरी प्रभू यीसू के चमत्कार और दुखों से निवारण के दरबार लगाते हैं और बीमारियों का मुफ्त इलाज, स्कूलों में एडमिशन का लालच देते हैं।

डाॅ. गुरदीप सिंह ने बताया कि ईसाई पादरी सबसे पहले हिंदू और सिखों से बात करते हैं, फिर प्रार्थना सभा के माध्यम से चर्च लाने के बाद लोगों से अपनी समस्याएं को लिखकर एक लिफाफे में चर्च में लगे बाॅक्स में डलवाते हैं।

जिस क्षेत्र से समस्याएं ज्यादा प्राप्त होती हैं, उन गांवों को पास्टर द्वारा गोद ले लिया जाता है। गोद लेने के बाद ही मुफ्त की रेवड़ियां और प्रलोभन के टारगेट को तय किया जाता है, इसमें आर्थिक मदद के नाम पर पैसे देना भी शामिल है।

पाकिस्तान सीमा से लगे हुए जिलों में अधिक मतांतरण

डाॅ. रणबीर ने अपने शोध में पाया कि ईसाई धर्म के प्रचारकों ने पंजाब में योजना बनाकर यहां के स्थानीय समुदायों को ईसाई बनाया है। धर्मांतरण की सभी गतिविधियों को सीमा से लगे हुए जिलों में अधिक बढ़ाया जाता है।

सबसेे अधिक ईसाई तरनतारन और गुरदासपुर जिले में बने हैं। जिला तरनतारन में 2011 में ईसाई समुदाय की जनसंख्या 6,137 थी, जो वर्ष 2021 में बढ़कर 12436 हो गई। यानि दस वर्षों में 102 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। अकेले गुरदासपुर जिले में तो पिछले पांच वर्षों में इस समुदाय की जनसंख्या में चार लाख से अधिक की वृद्धि हुई है। पंजाब में बटाला, फतेहगढ, डेरा बाबा नानक, मजीठा और अमृतसर के ग्रामीण इलाकों में तेजी से लोगों को ईसाई बनाया जा रहा है।

धर्म परिवर्तन कराते हैं, नाम नहीं बदलते

पंजाब में जिन हिंदुओं और सिखों को ईसाई बनाया जाता है, उनका धर्म परिवर्तन तो कराया जाता है लेकिन, उनके नाम को नहीं बदला जाता औ ना ही पादरियों की ओर से सिखों को पगड़ी उतारने के लिए कहा जाता। केवल नाम के आगे मसीह लगा दिया जाता है। जैसे कुलविंदर सिंह मसीह या राजेंद्र लूथरा मसीह।

एक पास्टर को मिलती है 300 लोगों का धर्म परिवर्तन कराने की जिम्मेदारी

सिख स्कॉलर डॉ. रणबीर सिंह बताते हैं कि पूरे पंजाब में इस समय 65 हजार से अधिक पास्टर हैं और प्रत्येक पास्टर को एक वर्ष में 30 से लेकर 300 की संख्या तक हिंदु और सिखों को ईसाई बनाने का टारगेट दिया जाता है।

पास्टरों को धर्मांतरण करने का प्रशिक्षण दिया जाता है और पास्टर की योग्यता के अनुसार उसे धर्मांतरण कराने की संख्या दी जाती है। जिसे बाईबल का ज्ञान हो जाता है, मिशनरियां उसे पास्टर बना देती हैं और प्रत्येक पास्टर को 600 प्रतिशत की ग्रोथ देनी होती है।

पूरे पंजाब में फैला चर्चो का जाल, गुरदासपुर में 700 चर्च

ईसाइयों के लिए पंजाब धर्मांतरण की नई प्रयोगशाला बनकर उभर रहा है। हर जिले में नए चर्चो का जाल फैल रहा है। अधिकांश नए चर्च निजी तौर पर प्रचार करने वाले पादरियों द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं। कई जगहों पर ईसाई धर्म मानने वाले लोगों ने घरों में चर्च स्थापित कर लिए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गो से लेकर गली-मौहल्लों और गांव की संकरी गली तक में चर्च खुल गए हैं। अकेले गुरदासपुर में 700 घरों में चर्च बने हैं।

खेती-किसानी और नौकरी छोड़कर कर रहे हैं ईसाइसत का प्रचार

कई जिलों में खेती-किसानी और नौकरियों को छोड़कर लोग ईसाईयत के प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। महीने में सैकड़ों नए पादरी बनाए जा रहे हैं। धर्मांतरण का गिरोह चलाने वालों ने सोशल मीडिया और यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स भी बना रखे हैं। डॉक्टर हो या इंजीनियर, वकील हो या कारोबारी सभी को ईसाई बनाया जा रहा है।

पश्चिमी देशों सहित आईएसआई से होती है फंडिंग

डा. रणबीर सिंह ने जानकारी दी कि पंजाब में जिन लोगों को ईसाई बनाया जाता है, उनको कुछ वर्षो तक मासिक धनराशि दी जाती है। साथ ही पास्टरों पर भी खर्चा होता है। धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई मिशनरियों को अमेरिका सहित पश्चिमी देशों और पाकिस्तान की आईएसआई से फंडिंग होती है।

पंजाब से युवा प्रतिभाओं का विदेश पलायन भी एक समस्या

पंजाब के युवाओं का विदेश से मोह कोई नया नहीं है। हर वर्ष डेढ़ लाख युवा पंजाब छोड़कर विदेश में जाकर बसता है। युवाओं के विदेश जाने से केवल प्रतिभा का पलायन ही नहीं हो रहा, बल्कि करोड़ों रुपये भी विदेश में जा रहे हैं।

जिसका फायदा यह ईसाई मिशनरियों के लोग उठा रहे हैं। कई युवा तो ऐसे हैं, जो अपने पूर्वजों की करोड़ी की सम्पत्ति को छोड़कर विदेश बसे हैं और उनकी जमीनों पर चर्च खड़े हो रहे हैं।

पंजाब पहले से ही सिख और हिंदुओं के विदेश पलायन की समस्या से जूझ रहा है और बड़ी संख्या में लालच के दम स्थानीय नागरिकों को ईसाई बनाने से पंजाब की सामाजिक और धार्मिक संस्कृति खतरे में आ गयी है।

इस समस्या के समाधान के लिए समाज और सभी संगठनों को एक साथ विमर्श करना होगा। केंद्र सरकार को पंजाब में बढ़ती चर्चो की संख्या और धर्मांतरण को लेकर सख्त कदम उठाने चाहिए। सरकार को ईसाई मिशनरियों और उनको मिल रही आर्थिक सहायता के सम्बंध में जांच भी करानी चाहिए।

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