संदेश साफ है, काम कीजिए जगह बनाइए
वेबडेस्क। संदेश साफ है, एकदम स्पष्ट है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्या कदम उठाएंगे कब उठाएंगे, इसका कोई आंकलन नहीं कर सकता। ऐतिहासिक उपलब्धियों के बीच वैश्विक महामारी कोरोना के चलते चौतरफा आलोचना से घिरे रहने के बावजूद श्री मोदी की राजनीतिक शैली में 'सरप्राइस फैक्टर' पहले की तरह ही नहीं बल्कि और दमदारी के साथ कायम है। बहुप्रतीक्षित अपने पहले बड़े फेरबदल में 12 मंत्रियों के इस्तीफे लेकर वह यह संदेश दे रहे हैं कि आवश्यकता पड़ेगी तो वह स्वयं के मंत्रिमण्डल की शल्य क्रिया भी पूरी सख्ती के साथ करने का साहस रखते हैं, वहीं अगर अवसर है तो वह अपने सात मंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट में भी जगह दे सकते हैं।
श्री मोदी परपरागत राजनीति से हटकर सोचते हैं। इसलिए टीम में वरिष्ट नौकरशाहों को भी अपनी टीम का हिस्सा बनाने का निर्णय उन्होंने लिया है। वहीं आने वाले चुनावों को देखते हुए उत्तरप्रदेश से सात और उत्तराखंड से एक मंत्री बनाया गया है। यही नहीं सात महिलाओं को भी विस्तार में स्थान देकर मोदी ने आधी आबादी पर अपना भरोसा जताया है। नरेन्द्र मोदी के आज के मंत्रिमण्डल विस्तार में 43 मंत्रियों ने शपथ ली है जिसमें तीन सहयोगी दल के हैं। अपना दल उत्तरप्रदेश में भाजपा के साथ कदम ताल करेगा। वहीं जनता दल यू सरकार में शामिल हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान को मोदी ने संदेश दे दिया है कि अति उत्साह एवं उच्चाकांक्षा का कोई भविष्य नहीं है।
कॉपी सख्ती से जांची -
श्री नरेन्द्र मोदी के पहले विस्तार में सर्वश्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, सदानंद गौड़ा एवं डॉ. हर्षवर्धन का इस्तीफा बताता है कि श्री मोदी ने विस्तार से पहले मंत्रियों की कॉपी सख्ती से जांची है। संभव है संगठन में इनमें से कुछ चेहरे दिखाई दें। पहले शपथ ग्रहण समारोह में सर्वाधिक ताली प्रताप सारंगी ने अपनी सादगी के चलते बटोरी थी पर मंत्री बने रहने के लिए सिर्फ सादगी पर्याप्त नहीं, यह भी मोदी ने बताया है। कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच 6 नए चिकित्सकों को मंत्रिमण्डल में शामिल करना सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है। आश्चर्य सिर्फ श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं सर्वानंद सोनोवाल को लेकर नहीं हुआ है। यही दो चेहरे ऐसे हैं जिनकी चर्चा शुरू से थी, शेष सभी चेहरे मोदी की अपनी दृष्टि है।
27 पिछड़ा वर्ग, 12 अनुसूचित जाति एवं आठ जनजाति के सदस्य -
मंत्रिमण्डल विस्तार में दक्षिण में तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष एल. मुरुगन को शामिल करना भाजपा की भविष्य की विस्तार की राजनीति का संकेत करता है। उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों को भी मंत्रिमण्डल में स्थान दिया गया है। मध्यप्रदेश में श्री सिंधिया के अलावा टीकमगढ़ के डॉ. वीरेन्द्र खटीक को शामिल करना सरकार की सामाजिक समरसता का संदेश है। मंत्रिमण्डल में कुल 27 पिछड़ा वर्ग, 12 अनुसूचित जाति एवं आठ जनजाति के सदस्य हैं वहीं 5 अल्पसंयक हैं। मंत्रिमण्डल की एक और विशेषता यह है कि अधिकांश मंत्री उच्च शिक्षित हैं । जाहिर है मोदी भविष्य की चुनौती के लिए टीम को मथ चुके हैं। उनका अगला चौंकाने वाला निर्णय विभागों के बंटवारे का होगा जिस पर कोई कयास नहीं लगाना चाहिए